अगर आपने शाहरुख खान और काजोल की फिल्म कभी खुशी कभी गम देखी है तो आपको वो बच्चा जरूर याद होगा जो बहुत मासूमियत के साथ जन गण मन गाता है. वो बच्चा कोई और नहीं जिब्रान खान ही थे.
नई दिल्ली:
हाल ही में रिलीज हुई फिल्म इश्क विश्क रिबाउंड भले ही कुछ खास कमाल नहीं कर सकी हो लेकिन इस फिल्म के कलाकारों का काम लोगों को खूब पसंद आ रहा है. फिल्म की थोड़ी बिखरी बिखरी सी कहानी को साधने का काम इन्हीं कलाकारों ने किया है. जिनमें जिबरान खान, रोहित सुरेश सराफ, नलिया ग्रेवाल और पश्मीना रोशन शामिल हैं. इन सबमें जिब्रान खान ऐसे एक्टर हैं जो बहुत कम एज से ही दर्शकों को एंटरटेन करते नजर आ रहे हैं. सिर्फ वही नहीं उनके पिता भी छोटे पर्दे पर बड़ी पहचान बना चुके हैं. यह और कोई नहीं बल्कि 1988 में बीआर चोपड़ा की महाभारत में अर्जुन का किरदार निभाने वाले एक्टर अर्जुन फिरोज खान हैं, जिन्हें फैंस ने काफी पसंद किया है.
फिरोज खान 60 साल के हो चुके हैं. वहीं उन्हें बीआर चोपड़ा की महाभारत में अर्जुन के किरदार से 1988 से 1990 के दशक में खूब सफलता मिली थी. इतना ही नहीं एक्टर फिरोज खान के जैसा नाम होने पर बीआर चोपड़ा के कहने पर उन्होंने अपने नाम के आगे अर्जुन फिरोज खान रख लिया था. वह टीवी शो महाभारत के अलावा बॉलीवुड फिल्मों करण अर्जुन, स्वायम कृषि, जिगर, मेहंदी और अर्जुन देवा जैसी फिल्मों में विलेन के किरदार में नजर आ चुके हैं.
जिबरान खान की बात करें तो वह शाहरुख खान और काजोल की फिल्म कभी खुशी कभी गम में उनके बेटे बने थे. इसमें उन्हें काफी पसंद किया गया. वहीं हाल ही में जब वह फैमिली संग इश्क विश्क रिबाउंड के प्रीमियर पर पहुंचे तो फैंस की नजरें उन्हें छोड़कर पिता अर्जुन फिरोज खान पर पड़ गई. सोशल मीडिया पर लोगों ने खूब रिएक्शन दिया. एक यूजर ने लिखा, ओह माय गॉड… ये तो महाभारत के अर्जुन के बेटा हैं ऑसम. दूसरे यूजर ने लिखा, पिता और बेटा दोनों काफी डैशिंग और हैंडसम हैं. तीसरे यूजर ने लिखा, अरे ये तो हमारे अर्जुन का बेटा है नाइस. चौथे यूजर ने लिखा, ओह माय गॉड मतलब पता ही नहीं था जिबरान उनके बेटे हैं.
जिबरान खान की लेटेस्ट फिल्म आई है. उन्होंने खुद एक इंटरव्यू में बताया था कि इससे पहले बहुत सारे ऑडिशन दिए हैं. लेकिन फिल्म मिलने के बाद अब वो ये भूल जाना चाहते हैं कि उन्होंने कब किस फिल्म के लिए ऑडिशन दिया और सिर्फ काम पर फोकस करना चाहते हैं. जिब्रान खान का ये भी कहना है कि अगर आराम से बैठे रहेंगे तो काम नहीं मिलेगा. ऑडिशन देते रहेंगे तो दस में से दो काम तो मिलेंगे ही.