US China News: चीन अमेरिका के दुश्मन को अपना पक्का दोस्त बना चुका है. अब उसके घर से ही अमेरिका की जासूसी कर रहा है. जी हां, क्यूबा अमेरिका के लिए विभीषण का काम कर रहा है. उसने चीन को अपनी सरजमीं से अमेरिका की जासूसी करने की पूरी छूट दे दी है.
नई दिल्ली: चीन तो अमेरिका से दो कदम आगे निकल गया. अमेरिका को मात देने के लिए उसने गजब का दिमाग लगाया है. चीन ने तीसरे देश का सहारा लेकर जैसे को तैसा जवाब देने का प्लान बना लिया है. दुश्मन का दुश्मन दोस्त…चीन भी अब अमेरिका वाली ही चाल चल रहा है. कई देशों में जासूसी करने वाले चीन ने अब अमेरिका की जासूसी करने की ठानी है. यही वजह है कि उसने अमेरिका के दरवाजे पर जासूसी का जाल बिछा दिया है. 150 किलोमीटर की दूरी पर चीन के दूरबीन तानते ही अमेरिका में खलबली मच गई है.
जी हां, चीन अमेरिका के दुश्मन को अपना पक्का दोस्त बना चुका है. ड्रैगन अब उसके घर से ही अमेरिका की जासूसी कर रहा है. चीन जहां से अमेरिका पर नजर रख रहा है, उस देश का नाम है क्यूबा. चीन अब क्यूबा को अपने लिए विभीषण की तरह यूज कर रहा है. अमेरिकी थिंक टैंक के दावे के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन जरूर टेंशन में आ गए होंगे. अमेरिका का कट्टर दुश्मन रह चुका क्यूबा अब चीन का पकिया यार है. उसने चीन को अब अपनी सरजमीं से अमेरिका की जासूसी करने की पूरी छूट दे दी है.
अमेरिका में चीन ने चल दी बड़ी चाल
अमेरिकी थिंक टैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका से करीब 150 किलोमीटर की दूरी से चीन उसकी जासूसी कर रहा है. चीन ने फ्लोरिडा से 100 मील यानी 150 से 160 किमी से भी कम दूरी पर क्यूबा में कई जासूसी ठिकाने विकसित कर लिए हैं. थिंक टैंक सीएसआईएस यानी सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है. साथ ही उसने इस इलाके की सैटेलाइट तस्वीरों से अपने दावों की पुष्टि की है.
रिपोर्ट में क्या-क्या
थिंक टैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि चीन के पास ऐतिहासिक रूप से उत्तरी अमेरिका में जमीनी स्टेशनों तक पहुंच की कमी रही है. ऐसे में क्यूबा में प्रतिष्ठानों तक पहुंच बनाने से इस अंतर को पाटने में चीन को मदद मिल सकती है. अमेरिकी थिंक टैंक ने कहा कि क्यूबा में चीन के ये जासूसी ठिकाने रेडियो ट्रैफिक की निगरानी करने और अमेरिका में अत्यधिक संवेदनशील मिलिट्री साइट्स से गुजरने वाले अमेरिकी सैटेलाइट द्वारा दिए जाने वाले डेटा को संभावित रूप से इंटरसेप्ट करने की क्षमता भी प्रदान करेंगी.
चीन के लिए क्यूबा क्यों है अहम
थिंक टैंक की रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिकी राज्य फ्लोरिडा पर चीन की नजर इसलिए है, क्योंकि यहीं पर केप कैनावेरल में प्रमुख स्पेस लॉन्च कॉम्प्लेक्स, अमेरिकी सदर्न कमांड और सेंट्रल कमांड दोनों का हेडक्वार्टर है. साथ ही फ्लोरिडा कई सबमरीन और अन्य बेस का होम है. हालांकि, चीन की इस चाल पर अमेरिका की नजर है. पेंटागन के प्रेस सचिव मेजर जनरल पैट राइडर ने कहा कि चीन ने 2019 में क्यूबा में अपने जासूसी ठिकानों को पूरी तरह से डेवलप कर लिया है. हम जानते हैं कि चीन क्यूबा में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश जारी रखेगा और हम इसे बाधित करने के लिए काम करना जारी रखेंगे. इसलिए हम इस पर बारीकी से नजर रख रहे हैं और इसका मुकाबला करने के लिए कदम उठा रहे हैं.
अमेरिका में मची खलबली
थिंक टैंक की रिपोर्ट के बाद अमेरिका में खलबली है. कांग्रेसी कार्लोस ए गिमेनेज ने बाइडन प्रशासन से कम्युनिस्ट चीन और कास्त्रो के क्यूबा के खिलाफ सख्त एक्शन की मांग की है. गिमेनेज ने कहा कि कम्युनिस्ट चीन लगातार अमेरिका को कमजोर कर रहा है और राष्ट्रपति बाइडन एक्शन लेने में फेल रहे हैं. मैं बाइडन प्रशासन से आग्रह करता हूं कि वह क्यूबा को अपने सैटेलाइट स्टेट के रूप में इस्तेमाल करने वाले चीन का मुकाबला करे. बता दें कि चीन कुछ समय से क्यूबा की धरती से अमेरिका की जासूसी कर रहा है. 2019 में उसने वहां अपनी खुफिया जासूसी ठिकानों को उन्नत किया है. बाइडन प्रशासन को भी काफी समय से इसकी भनक है.
क्यूबा से अमेरिका पर शिकंजा
दरअसल, ऐसा पहली बार नहीं है, जब क्यूबा की धरती से अमेरिका को डराने की कोशिश हुई है. इससे पहले1962 में शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ सरकार ने अमेरिका को डराने के लिए उसके पड़ोसी देश क्यूबा में परमाणु हथियार से लैस मिसाइलों की तैनाती कर दुनिया को एटमी जंग के मुहाने पर खड़ा कर दिया था. चीन भी अब क्यूबा का कुछ उसी तरह इस्तेमाल कर रहा है. क्यूबा की धरती से अमेरिका की इलेक्ट्रोनिक बातचीत को छिपकर सुनने के लिए ही चीन ने जासूसी सेंटर बनाए हैं. माना जा रहा है कि इन जासूसी ठिकानों की मदद से चीन अमेरिका की जासूसी कर सकेगा. फ्लोरिडा अमेरिका के कई सैन्य अड्डों का केंद्र है. चीन इन अड्डों की मदद से अमेरिकी जहाजों की हर मूवमेंट पर आसानी से नजर रखने की योजना पर काम कर रहा है.