कांग्रेस सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल और रविंद्र भाटी के साथ दिखने और बीएमपी के पोस्टर ने राजस्थान में सियासी गलियारों में हलचल तेज कर दी है.
Rajasthan Politics: 2024 के लोकसभा चुनाव में देश की सबसे चर्चित व हॉट सीटों में शुमार बाड़मेर लोकसभा सीट से एक दूसरे खिलाफ चुनाव लड़े सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल और निर्दलीय प्रत्याशी रहे शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी एक बार फिर से चर्चा हैं. इस बार राजस्थान के ये दोनों नेता रविवार को बाड़मेर में आयोजित हुए एक रोड़ शो और कार्यक्रम में मंच साझा साझा करने के चलते सुर्खियों में आए. बीएमपी पार्टी के एक पोस्टर और इन दोनों के एक साथ नजर आने के बाद राजस्थान की राजनीतिक गलियारों में हलचल शुरू हो गई.
एक साथ दिखे रविंद्र भाटी और उम्मेदाराम
दरअसल, बाड़मेर में आयोजित हुए एक रोड़ शो और कार्यक्रम में शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी और कांग्रेस सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल एक साथ नजर आए. रविंद्र सिंह भाटी और उम्मेदाराम बेनीवाल ने एक दूसरे के सामने लोकसभा का चुनाव लड़ा था और दोनों एक दूसरे पर जमकर हमलावर रहे. रविंद्र भाटी ने निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए करीब साढ़े 5 लाख वोट पाकर कांग्रेस के उम्मेदाराम को कड़ी टक्कर दी थी. दोनों नेता विश्व आदिवासी अधिकार दिवस के अवसर पर शिव विधानसभा क्षेत्र के रामसर में आदिवासी समाज के कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इस कार्यक्रम में इन दोनो नेताओं के अलावा राजस्थान के चर्चित नेता सांसद और आदिवासी नेता राजकुमार रोत भी शामिल थे.
चुनाव में फेल हो गए थे अमीन खान
राजनीतिक जानकर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत का सबसे बड़ा कारण जातीय समीकरण को बताते हैं. रविंद्र सिंह भाटी मूल ओबीसी राजपूत और अल्पसंख्यक के भरोसे निर्दलीय मैदान में उतरे थे. मूल ओबीसी राजपूत समाज को अपने पक्ष में करने में कामयाब रहे, लेकिन अल्पसंख्यक समुदाय को पक्ष में लाने के लिए अमीन खान के भरोसे थे. लेकिन अमीन खान विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा में अल्पसंख्यक समुदाय को भाटी के पक्ष में लाने कामयाब नहीं हो पाएं. चुनाव के आखिरी दिन तक अल्पसंख्यक वोटर्स ने अपने पत्ते नहीं खोले और अंत में 80 फीसदी वोटबैंक कांग्रेस के साथ चला गया. ऐसे में कांग्रेस जाट, अल्पसंख्यक और दलित समाज के समीकरणों पर चुनाव अपने दम पर चुनाव जीतने में कामयाब रहीं.
नए जातीय समीकरण बनने की चर्चा
लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक अमीन खान ने कांग्रेस के नेताओं पर भीतर घात कर विधानसभा चुनाव में हराने और कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष फतेह खान की पार्टी में वापसी का विरोध किया था, लेकिन पार्टी ने उनको नजरंदाज कर दिया, जिसके चलते अमीन खान ने पार्टी से बगावत कर रविंद्र सिंह भाटी का समर्थन किया था. इसके बाद कांग्रेस ने उन्हें निष्कासित भी कर दिया था. चुनाव में हार के बाद अमीन खान और रविंद्र सिंह भाटी दोनों ही नए समीकरण साधने में लगे थे. ऐसे में अब बीएमपी के राजस्थान राज्य के तीसरे अधिवेशन से जुड़े पोस्टर में रविंद्र सिंह भाटी और अमीन खान की फोटो और वामन मेश्राम के साथ मंच साझा करने के चलते नई राजनीतिक खिचड़ी पकने की और इशारा कर रहा है.