Dr Mahrang Baloch From Balochistan: आखिर कौन हैं 31 साल की वह सामान्य सी दिखने वालीं महिला महरंग बलोच जिनके नाम से पाकिस्तान सालों से परेशान है. और, अब ऐसा क्या हो गया है कि महंरग बलोच को दुनिया भर से समर्थन मिल रहा है? कौन हैं ये महरंग बलोच जिनके अहिंसक आंदोलन से पाक की नाक में दम हो रखा है. पाकिस्तान के चार प्रांतों में सबसे रूढ़िवादी बलूचिस्तान की निवासी बलोच महात्मा गांधी की राह पर चल रहीं हैं. बलूस्तिान को लेकर पाकिस्तान दोहरे तनाव में है. एक और बीएलए ने आतंक बरपाया हुआ है और दूसरी ओर शांतिवादी अहिंसक आंदोलनरत महरंग बलोच पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो चली हैं.
इस हफ्ते बलूचिस्तान में बीएलए जैसे विद्रोही संगठनों के करीब 70 से अधिक लोगों की हत्या के बाद पाकिस्तान सरकार के खिलाफ डॉक्टर महरंग बलूच का गांधीवादी, अहिंसक प्रोटेस्ट तेज हो गया है. साहसी बलोच के भाषण इतने प्रभावशाली हैं कि उन्हें संपूर्ण प्रांत में सम्मान और प्रशंसा के साथ साथ लोगों का साथ भी मिलता रहा है. बलूच लोगों को एकजुट करने में वे काफी सफल रही हैं और इस प्रांत की महिलाएं उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर सड़क पर उतरती हैं.
बलूस्तिान झेल रहा है दोतरफा वार…
1948 से लेकर आज तक बलूस्तिान और पाकिस्तान सरकार व आर्मी के साथ तनाव कभी शांत नहीं हुआ. इधर यह और तेजी से बढ़ा है. इसके नतीजे के तौर पर बलूस्तिान में पाकिस्तान की सेना, अर्धसैनिक और खुफिया बलों ने बलूच लोगों का अपहरण करने, उन्हें प्रताड़ित और जान से मार देने में कोई कसर नहीं छोड़ी. चंद रोज पहले ही पाकिस्तान के बलूचिस्तान में दो अलग-अलग हमलों में कम से कम 31 लोग मारे गए. उन्हें बस से उतारा गया और गोलियों से छलनी कर दिया गया. लगभग तीन दर्जन हथियारबंद लोगों ने बलूचिस्तान और पंजाब की सीमा पर स्थित पाकिस्तान के मूसाखेल जिले में ये हमला किया. 35 वाहनों को आग के हवाले भी कर दिया.
पहले पिता को खोया, फिर इकलौते भाई को भी उठा ले गए…
31 साल की महरंग 2006 से बलूच लोगों के अपहरण और हत्याओं का विरोध कर रही हैं. उनके पिता एक राजनीतिक कार्यकर्ता थे. वे एक दिन अचानक ‘गायब’ हो गए…बाद में उनका बुरी तरह क्षत विक्षत शव 2011 में मिला था. ये ही वह दिन था जब उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ सिर पर कफन बांध लिया. 2017 में उनके भाई भी ऐसे ही लापता हुए जो साल भर वापस किए गए. सेना के खिलाफ उनके आंदोलन का ही असर था कि 3 महीने से अधिक समय तक कब्जे में रखने के बाद लौटा दिया. बलूच का अभियान आज तक थमा नहीं, धमकियों का सामना करने के बावजूद न उनके मार्च रुके न अहिंसक आंदोलन. 2019 में उन्होंने BYC की स्थापना की कर दी.
क्या है बीवाईसी..क्या काम है इसका
बीवाईसी यानी बलूच यकजेहती समिति (Baloch Yakjehti Committee) के जरिए वह बलूच लोगों के सामने आने वाले मुद्दों पर बातचीत करने के लिए समुदायों में छोटी-छोटी जमीनी बैठकें आयोजित करती हैं. द गार्जियन से बातचीत में वह बताती हैं- हमने स्कूलों में जन-आंदोलन शुरू किया और साथ ही युवाओं, खासकर युवा महिलाओं को राजनीतिक शिक्षा देने के लिए घर-घर जाकर काम किया.
‘पहली बार मैंने एक शव तब देखा जब… ‘
डॉक्टर बलोच कहती हैं, ‘जब मैं छोटी थी तो मुझे लगता था कि जब आप बूढ़े हो जाते हैं तो मृत्यु होती है… मैं मौत से डरती थी और फ्यूनरल में जाने से इनकार करती थी. पहली बार मैंने एक शव तब देखा जब मुझे मुर्दाघर में जबरदस्ती ले जाया गया… अपने पिता को दी गई यातना और उनकी क्षत-विक्षत देह की मैंने पहचान की.. मैं मजबूर की गई..’ कहती हैं- मैंने पिछले 15 सालों में अपने करीबी लोगों के दर्जनों शव देखे हैं कि मौत अब मुझे डराती नहीं है.
फोटो साभार- x.com/BalochYakjehtiC
पेशे से डॉक्टर महरंग की मांग- न्याय हो…
पाकिस्तान के बलूचिस्तान की रहने वाली महरंग बलूच पेशे से एक डॉक्टर हैं. 16 साल की उम्र से पाकिस्तान की सेना के खिलाफ जंग लड़ रहीं बलोच की मुख्य लड़ाई बलूचिस्तान में पाक सेना के गैरकानूनी तरीके से आम लोगों को उठा ले जाने और हत्या जैसे शोषण और उत्पीड़न के खिलाफ है. महरंग की 5 बहनें और 1 भाई हैं और उनका परिवार कलात, बलूचिस्तान से है. पिता अब्दुल गफ्फार बलूच एक मजदूर और वामपंथी राजनीतिक कार्यकर्ता थे.वह सीटीडी (आतंकवाद-रोधी विभाग) के जरिए बेजा हत्याओं और किडनैपिंग के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही हैं.