आज राज्यसभा में व्यवधान के बीच, सभापति श्री जगदीप धनखड़ ने संसदीय कार्यवाही की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा,
“माननीय सदस्यगण,
दुनिया हमारे लोकतंत्र को देखती है, फिर भी हम अपने आचरण से अपने नागरिकों को निराश करते हैं। ये संसदीय व्यवधान जनता के विश्वास और अपेक्षाओं का मजाक उड़ाते हैं। परिश्रम के साथ सेवा करने का हमारा मौलिक कर्तव्य उपेक्षित है।
जहाँ तर्कसंगत संवाद होना चाहिए, वहाँ हम केवल अराजकता देखते हैं। मैं हर सांसद से, चाहे वह किसी भी पार्टी का हो, अपने विवेक की जाँच करने का आग्रह करता हूँ।
हमारे लोकतंत्र के नागरिक – मानवता का छठा हिस्सा – इस तमाशे से बेहतर के हकदार हैं।
हम उन बहुमूल्य अवसरों को खो देते हैं जो हमारे लोगों की भलाई के लिए काम आ सकते हैं।
मुझे उम्मीद है कि सदस्य गहराई से आत्मनिरीक्षण करेंगे और नागरिक अपनी जवाबदेही का पालन करेंगे।
ये पवित्र सदन ऐसे आचरण के हकदार हैं जो हमारी शपथ का सम्मान करते हैं, न कि ऐसे नाटक जो इसे धोखा देते हैं।”