केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने तेलंगाना सरकार के सहयोग से 8-9 जनवरी, 2025 को गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया। कार्यशाला में प्रमुख हितधारकों जैसे कि प्रधान सचिव (स्वास्थ्य), मिशन निदेशक-राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, स्वास्थ्य पेशेवर और देश भर के नीति निर्माता एक साथ आए और एनसीडी की रोकथाम, जांच, प्रबंधन और उपचार के लिए रणनीतियों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्रीमती पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने एनसीडी के बढ़ते बोझ को दूर करने के लिए अंतर-क्षेत्रीय सहयोग, उन्नत शोध और नवीन प्रथाओं की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि “यह राष्ट्रीय कार्यशाला सरकार के “स्वस्थ भारत” के दृष्टिकोण को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुँच और एनसीडी से होने वाली असामयिक मृत्यु दर में कमी लाने पर जोर दिया गया है।”
उन्होंने आगे कहा कि “ यह सम्मेलन एनसीडी की रोकथाम और नियंत्रण सहित स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को मजबूत करने के लिए भारत के 16 वें वित्त आयोग के समक्ष प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की प्राथमिकताओं की रणनीति बनाने में मदद करेगा ।”
सम्मेलन में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी), क्रोनिक श्वसन रोग (सीआरडी), नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग (एनएएफएलडी), स्ट्रोक और कैंसर सहित प्रमुख एनसीडी के विभिन्न पहलुओं पर व्यापक चर्चा, क्षेत्र दौरे और ज्ञान-साझाकरण सत्र शामिल थे।
कार्यशाला की शुरुआत तेलंगाना में प्रमुख स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्रीय दौरे से हुई, जहाँ प्रतिभागियों ने जमीनी स्तर पर एनसीडी प्रबंधन के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं और नवीन दृष्टिकोणों को देखा। इन दौरों ने प्राथमिक और द्वितीयक स्वास्थ्य सेवा हस्तक्षेपों के परिचालन पहलुओं में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान की।
समुदाय-आधारित हस्तक्षेप पर मुख्य ध्यान दिया गया, जिसमें फिट इंडिया और ईट राइट इंडिया जैसे अभियानों की भूमिका पर जोर दिया गया। नागालैंड की अनुकरणीय तंबाकू समाप्ति और नशा मुक्ति पहल और तेलंगाना के योग और स्वास्थ्य प्रथाओं के एकीकरण को अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय मॉडल के रूप में उजागर किया गया।
राज्य-विशिष्ट प्रथाओं पर विशेष ध्यान दिया गया। असम के उच्च रक्तचाप नियंत्रण कार्यक्रम, तमिलनाडु की व्यापक एनसीडी जांच और आंध्र प्रदेश के मजबूत कैंसर देखभाल बुनियादी ढांचे को उनके अभिनव दृष्टिकोण और परिणामों के लिए प्रदर्शित किया गया। अन्य राज्यों की प्रस्तुतियों ने दिखाया कि कैसे अनुकूलित रणनीतियाँ क्षेत्रीय चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान कर सकती हैं। सांस्कृतिक और क्षेत्रीय संदर्भों के लिए दृष्टिकोणों को अनुकूलित करके, इन कार्यक्रमों ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है और अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय रणनीतियाँ पेश की हैं।
अनुसंधान प्राथमिकताओं पर एक विशेष सत्र में रोकथाम, जांच और उपचार में अंतराल को पाटने के लिए कार्यान्वयन अनुसंधान की आवश्यकता को रेखांकित किया गया।
विभिन्न चिकित्सा संस्थानों के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों द्वारा एनसीडी की जांच, निदान और प्रबंधन में चुनौतियों पर प्रस्तुतियां दी गईं, जैसे कि एसटी एलिवेशन मायोकार्डियल इन्फार्क्शन, क्रोनिक किडनी रोग, क्रोनिक रेस्पिरेटरी रोग, नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग और स्ट्रोक आदि। इस अवसर पर एनसीडी के बोझ को कम करने के लिए विशेषज्ञों ने अपने विचार और अनुभव साझा किए।
कैंसर देखभाल के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया गया, जिसमें जिला अस्पतालों में कैंसर देखभाल को बढ़ाने, तृतीयक देखभाल केंद्रों की भूमिका और जनसंख्या-आधारित कैंसर रजिस्ट्री पर सत्र आयोजित किए गए। कैंसर देखभाल में अंतराल को दूर करने की रणनीतियों – स्क्रीनिंग से लेकर फॉलो-अप तक – की गहराई से खोज की गई, जिसमें ओरल, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के प्रमुख विशेषज्ञों के योगदान शामिल थे।
माध्यमिक स्तर के एनसीडी क्लीनिकों को मजबूत करने और व्यापक जांच कार्यक्रमों का विस्तार करने के लिए तेलंगाना और तमिलनाडु की सर्वोत्तम प्रथाओं पर चर्चा की गई।
पृष्ठभूमि:
भारत वर्तमान में गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) में अभूतपूर्व वृद्धि का सामना कर रहा है, जो पूरे देश में होने वाली सभी मौतों का 66% से अधिक हिस्सा है। तेजी से बदलते जनसांख्यिकीय और महामारी विज्ञान परिदृश्य के साथ, हृदय रोग, मधुमेह, पुरानी श्वसन संबंधी बीमारियों और कैंसर जैसी एनसीडी का बोझ एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बन गया है, खासकर 30 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के बीच।
इस बढ़ते बोझ को संबोधित करने की तात्कालिकता को समझते हुए, भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपी-एनसीडी) को लागू किया है। इस कार्यक्रम का विस्तार न केवल सबसे आम एनसीडी बल्कि क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी), नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) जैसी अन्य गंभीर स्थितियों और प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम (पीएमएनडीपी) के तहत डायलिसिस सेवाओं को शामिल करने के लिए किया गया है।
एमवी