नई दिल्ली:हाल ही में पेश किए गए वित्तवर्ष 2024-25 (FY2024-25) के पूर्ण वार्षिक बजट में इनकम टैक्स (Income Tax) के मोर्चे पर नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime) चुनने वाले करदाताओं, यानी टैक्सपेयरों को राहत देते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन (Nirmala Sitharaman) ने न सिर्फ़ मानक कटौती (Standard Deduction) को बढ़ा दिया था, बल्कि टैक्स स्लैबों में भी बदलाव कर रिजीम को ज़्यादा आकर्षक बना दिया था. वित्तमंत्री के इस साल के बजट भाषण से उन धारणाओं को फिर बल मिला है कि सरकार अंततः पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Tax Regime) को खत्म कर सकती है.
ध्यान दीजिए, इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) फ़ाइल करने वाले करदाता, यानी टैक्सपेयर भले ही इस साल के बजट भाषण में किए गए बदलावों का लाभ अगले साल से ही उठा पाएंगे, लेकिन पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Tax Regime) छोड़कर नई टैक्स व्यवस्था अपना लेने वालों की तादाद अभी से काफ़ी बढ़ गई है. बजट भाषण में वित्तमंत्री द्वारा दो-तिहाई से कुछ अधिक करदाताओं द्वारा नई टैक्स व्यवस्था अपनाए जाने की बात कहने के बाद वित्तवर्ष 2023-24 (FY2023-24) के लिए ITR दाखिल करने वालों में नई टैक्स व्यवस्था अपना लेने वालों की तादाद पिछले साल के मुकाबले बढ़ी है.
इस बार रिकॉर्ड संख्या में फ़ाइल हुए ITR
वित्तवर्ष 2023-24 (FY2023-24) के लिए ITR दाखिल करने की आखिरी तारीख निकल चुकी है, और रिकॉर्ड संख्या में ITR फ़ाइल हुए हैं. वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अंतिम तिथि, यानी 31 जुलाई, 2024 तक वित्तवर्ष 2023-24, यानी आकलन वर्ष 2024-25 (AY2024-25) के लिए कुल मिलाकर रिकॉर्ड 7.28 करोड़ करदाताओं ने ITR फ़ाइल किया. यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में 7.5 फ़ीसदी ज़्यादा है, क्योंकि वित्तवर्ष 2022-23 (आकलन वर्ष 2023-24) के लिए 31 जुलाई, 2023 तक कुल 6.77 करोड़ टैक्सपेयरों ने ITR फ़ाइल किया था.
72 फ़ीसदी टैक्सपेयरों ने अपनाई नई टैक्स व्यवस्था
वित्त मंत्रालय के अनुसार, वित्तवर्ष 2023-24, यानी आकलन या निर्धारण वर्ष 2024-25 के लिए 31 जुलाई, 2024 तक ITR फ़ाइल करने वाले 7.28 करोड़ करदाताओं में से 5.27 करोड़ ने नई टैक्स व्यवस्था के तहत इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल किया है, जबकि 2.01 करोड़ ITR पुरानी टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत फ़ाइल किए गए हैं, सो, नई टैक्स व्यवस्था अपना लेने वालों का आंकड़ा भी बढ़कर 72 फ़ीसदी हो गया है.
इस साल ITR फ़ाइलिंग से जुड़े रोचक आंकड़े
इसी बीच, दो अन्य रोचक आंकड़े भी सामने आए. वेतनभोगी टैक्सपेयरों तथा अन्य सभी गैर-टैक्स ऑडिट मामलों के करदाताओं द्वारा ITR फ़ाइल किए जाने की अंतिम तिथि, यानी 31 जुलाई, 2024 को सबसे ज़्यादा, यानी कुल 69.92 लाख ITR फ़ाइल किए गए. मंत्रालय के मुताबिक, 31 जुलाई, 2024 को शाम 7:00 बजे से रात 8:00 बजे के बीच ITR फ़ाइल करने की प्रति घंटा दर उच्चतम रही, और इस एक घंटे में 5.07 ITR फा़इल की गईं. ITR दाखिल करने की प्रति सेकंड उच्चतम दर 917 रही, जो 17 जुलाई, 2024 को सुबह 8:13:54 पर हासिल हुई. ITR फ़ाइल करने की उच्चतम प्रति मिनट दर 9,367 रही, जो अंतिम दिन, यानी 31 जुलाई, 2024 को ही रात 8:08 बजे प्राप्त हुई. इसके अलावा, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को इस बार कुल 58.57 लाख ITR ऐसे करदाताओं से प्राप्त हुए, जिन्होंने पहली बार ITR फ़ाइल किया है, जो मंत्रालय के मुताबिक, टैक्स बेस (यानी कर आधार) के विस्तार का संकेत है.
नई टैक्स व्यवस्था कैसे बनाई गई आकर्षक…?
अब आपको याद दिलाते हैं कि वर्ष 2020 में पहली बार घोषित की गई नई टैक्स व्यवस्था, यानी New Tax Regime को साल-दर-साल किस तरह पहले से ज़्यादा आकर्षक बनाया गया है. वित्तवर्ष 2020-21 के बजट में पहली बार पेश की गई नई टैक्स व्यवस्था में टैक्स की स्लैबों और दरों को कम रखा गया था. इसके बाद, पिछले साल, यानी वर्ष 2023 में पेश किए आम बजट में केंद्रीय वित्तमंत्री ने New Tax Regime को डीफ़ॉल्ट घोषित कर दिया था. अब इस साल उन्होंने नई टैक्स व्यवस्था अपनाने वालों के लिए न सिर्फ़ मानक कटौती को ₹50,000 से बढ़ाकर ₹75,000 कर दिया है, बल्कि टैक्स स्लैबों में भी बदलाव कर उसे ज़्यादा लाभदायक बना दिया है. अब नई टैक्स व्यवस्था अपनाने वाले टैक्सपेयरों को पहले की तुलना में न सिर्फ़ टैक्स कम चुकाना होगा, बल्कि प्रक्रिया भी बेहद सरल हो गई है.
“नई टैक्स व्यवस्था काफी सरल है…”
चार्टर्ड अकाउंटेंट वैभव रस्तोगी
इनकम टैक्स से जुड़े विशेषज्ञों का भी कहना है कि पुरानी टैक्स व्यवस्था की तुलना में नई टैक्स व्यवस्था काफ़ी सरल है. चार्टर्ड अकाउंटेंट वैभव रस्तोगी कहते हैं, “नई टैक्स व्यवस्था में उन लोगों को भी ज़्यादा दिक्कत पेश नहीं आती, जिन्होंने इससे पहले कभी ITR फ़ाइल नहीं की होती… मामूली गाइडेंस या इनकम टैक्स विभाग की स्टेप-बाई-स्टेप गाइड की मदद से भी करदाता खुद ही ITR फ़ाइल कर सकता है… इनकम टैक्स एक्ट की अलग-अलग धाराओं के तहत हासिल होने वाली अलग-अलग टैक्स छूट और कटौतियों को कैलकुलेट करने का झंझट इसमें नहीं होता, इसलिए यह बेहद सरल साबित होती है…”
वैभव के मुताबिक, नई टैक्स व्यवस्था में किसी भी करदाता के देय आयकर की गणना काफ़ी स्पष्ट होती है, जिससे वक्त भी बचता है, और असमंजस भी. इस टैक्स व्यवस्था में गलतियों और लापरवाही की गुंजाइश भी नाममात्र की ही रहती है.
“सरकार का इरादा है, पुरानी टैक्स व्यवस्था खत्म हो…”
चार्टर्ड अकाउंटेंट संदीप गोयल
दिल्ली में प्रैक्टिस कर रहे चार्टर्ड अकाउंटेंट संदीप गोयल का कहना है, “भले ही ज़्यादा बचत करने वाले और मकान किराया भत्ता (HRA Exemption) या होम लोन के ब्याज पर छूट लेने वाले अब भी पुरानी टैक्स व्यवस्था ही अपनाए हुए हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि नई टैक्स व्यवस्था अपनाने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है, और दो टैक्स व्यवस्था होने से कुछ उलझनें तो बढ़ती ही हैं…”
संदीप ने आगे कहा, “उधर, जिस तरह सरकार नई टैक्स व्यवस्था को आकर्षक बना रही है, उससे ज़ाहिर है कि वह आज नहीं, तो कल, पुरानी टैक्स व्यवस्था को खत्म करने जा रही है… हो सकता है, सरकार पुरानी टैक्स व्यवस्था को पूरी तरह खत्म करने से पहले एक-दो साल और इंतज़ार कर ले, लेकिन कभी न कभी इस टैक्स व्यवस्था को खत्म करेगी ही, ताकि एक ही टैक्स व्यवस्था होने से टैक्सपेयरों की दिक्कतें और उलझनें खत्म हो सकें…”