साल 2007 में जिस भारतीय टीम को वेस्ट इंडीज़ में होने वाले वनडे वर्ल्ड कप के लिए चुना गया था उसकी लाइन अप किसी ‘ड्रीम 11’ से कम नहीं थी.
कप्तान राहुल द्रविड़, पूर्व कप्तान सौरव गांगुली और सचिन तेंदुलकर, अनिल कुंबले, वीरेंद्र सहवाग, महेंद्र सिंह धोनी, युवराज सिंह, इरफ़ान पठान, ज़हीर खान, हरभजन सिंह और अजीत अगरकर टीम का हिस्सा थे. टीम कोच थे ‘विवादास्पद कार्यकाल’ वाले ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान ग्रेग चैपल.
उस टूर्नामेंट को कवर कर रहे बीबीसी संवाददाता पंकज प्रियदर्शी याद करते हैं, ”भले ही भारतीय टीम दिग्गज खिलाड़ियों से भरी हुई थी लेकिन टीम में एकजुटता की कमी साफ़ दिखती थी. कुछ बड़े खिलाड़ियों में फ़ील्डिंग पोज़िशन से लेकर बल्लेबाज़ी के ऑर्डर में मतभेद ड्रेसिंग रूम के बाहर झलकने लगे थे, जिस बात का उल्लेख कई खिलाड़ियों ने अपनी किताबों में भी किया है. ज़ाहिर है, बतौर कप्तान, राहुल द्रविड़ के लिए ये सब कुछ सम्भाल पाना मुश्किल था.”
नतीजा ये कि सितारों से जगमाती ये भारतीय टीम नॉकआउट स्टेज से पहले ही टूर्नामेंट से बाहर हो गई.
लेकिन राहुल द्रविड़ उस टीम का हिस्सा नहीं हो सके थे और उसी साल उन्होंने क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की थी.
फ़िलहाल राहुल द्रविड़ टीम इंडिया के हेड कोच हैं. पिछले दो साल से उन्होंने टीम की कमान संभाल रखी है.
राहुल द्रविड़ की एकाग्रता
साल 2007 में श्रीलंका और बांग्लादेश से मिली करारी हार का ज़िक्र कुछ ही दिन पहले राहुल द्रविड़ से एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में किया गया तो उन्होंने हँसते हुए जवाब दिया, ”बहुत अरसा हो गया इस बात को जब मैं एक प्लेयर था. सच बात यह है कि मैं क़रीब-क़रीब भूल गया था कि में खेलता भी था. उस बात को को मैं पीछे छोड़ आया हूँ और अब मैं इस पूरे ग्रुप की मदद करता हूँ, उनका फ़ोकस बनाए रखने में.”
लेकिन राहुल द्रविड़ के ज़माने में क्रिकेट खेलने वाले श्रीलंका के धुरंधर बल्लेबाज़ सनथ जयसूर्या को लगता है, ”द्रविड़ ऐसे महान प्लेयर के लिए 2007 जैसा परिणाम किसी बुरे सपने सा ही होता है.”
उन्होंने कहा, ”हम उस बल्लेबाज़ की बात कर रहे हैं जो टेस्ट क्रिकेट में सबसे लंबे समय तक क्रीज़ पर टिके रहने और सबसे ज़्यादा गेंदे खेलने का रिाॉर्ड बना चुका है. ऐसे प्लेयर इतिहास में कम होते हैं और बातौर कोच भी राहुल की एकाग्रता साफ़ दिखती है. अगर इंडिया ये ट्रोफ़ी जीतती है तो द्रविड़ से ज़्यादा संतुष्ट शायद ही कोई हो.”
अभ्यास पर फ़ोकस
बतौर कोच, राहुल द्रविड़ आज भी नेट्स पर अभ्यास को उतनी ही गंभीरता से लेते हैं, जैसे बतौर प्लेयर वो नेट्स में घंटों बैटिंग प्रैक्टिस किया करते थे.
खुद नेट्स में सबसे पहले पहुँचने के बाद राहुल द्रविड़ हर खिलाड़ी को बहुत बारीकी से प्रैक्टिस करते देखते हैं, सुझाव देते हैं और बैटिंग कोच विक्रम राठौर और बॉलिंग कोच पारस म्हाम्ब्रे को हर गतिविधि में शामिल करते हैं.
टीम के फ़ील्डिंग कोच टी दिलीप इन दिनों खिलाड़ियों के साथ जितनी मेहनत कर रहे हैं वो बहुत कम टीमों में देखने को मिलती है.
बुधवार को भारतीय टीम मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में देर शाम अभ्यास के लिए पहुँची. द्रविड़ ने सबसे पहले पिच का निरीक्षण किया. मंगलवार को भी जब शुभमन गिल डेढ़ घंटे तक बैटिंग कर रहे थे राहुल द्रविड़ ग्राउंड स्टाफ़ से बातचीत करते दिखे थे.
क्योंकि वानखेड़े की पिच हल्की लाल मिट्टी की है, जिससे गेंद थोड़ी बाउन्स करती है तो राहुल ने पहले बल्लेबाज़ों को तेज़ गेंदबाज़ी का अभ्यास करवाया, जिसमें सिराज भी विराट कोहली और गिल को देर तक बाउन्स होने वाली गेंदें फेंकते रहे.
पिछले शनिवार जब टीम इंडिया लखनऊ के इकाना स्टेडियम में नेट प्रैक्टिस कर रही थी, कोच राहुल द्रविड़ बीच में कई दफ़ा पिच को देखने गए, उसे छू कर और उस पर हाथ से एक बॉल उछाल कर.
द्रविड़ को शक था कि इस पर बल्लेबाज़ी मुश्किल होगी और हुआ भी यही. एक लो-सकोरिंग मैच में भारत ने इंग्लैंड को करारी शिकस्त दी.
अनुशासन और ज़रूरतें
नवंबर, 2022 में ऑस्ट्रेलिया में टी-20 विश्व कप खेला जा रहा रहा था और देश के पश्चिमी हिस्से के पर्थ शहर से एडिलेड के लिए क्वांटस एयरवेज़ ने उड़ान भर ली थी और फ़्लाइट फ़ुल थी.
भारतीय क्रिकेट टीम भी इसी फ़्लाइट में थी और एक दिन पहले ही दक्षिण अफ़्रीका से मैच हारने के बाद सभी खिलाड़ी मायूस होने के साथ-साथ थोड़ा आराम कर रहे थे. फ़्लाइट भी चार घंटे की थी.
लेकिन इकॉनमी सेक्शन की कोने वाली सीट पर बैठे कोच राहुल द्रविड़ ने जहाज़ के उड़ते ही अपना लैपटॉप निकाला और उसी में शायद अगले मैच की प्लानिंग करते रहे.
कोच ने उस टूर्नामेंट में टीम के लिए एक नियम बनाया था. क्योंकि ऑस्ट्रेलिया की डोमेस्टिक उड़ानों में बिज़नेस-क्लास सीटें कम होती हैं तो नियम ये था कि टीम के गेंदबाज़ों को उन सीटों पर बैठने दिया जाए जिससे उन्हें पर्याप्त आराम मिल सके.
राहुल द्रविड़ के साथ क्रिकेट खेल चुके और अब उनकी कोचिंग को फ़ॉलो करने वाले वेस्टइंडीज़ के पूर्व कप्तान डैरन सैमी ने इस वर्ल्ड कप के पहले ही बीबीसी हिन्दी से कहा था, “राहुल अब सेट हो चुके हैं”.
डैरन सैमी ने कहा, “द्रविड़ जैसे मेहनती प्लेयर्स मैंने कम देखे हैं. ठीक उसी तरह उन्होंने पहले जूनियर टीम के साथ कोचिंग की और सीखते-सिखाते अब ऐसे टीम के कोच हैं, जिनमें आधे से ज़्यादा सुपरस्टार खिलाड़ी हैं. ये कम बड़ी चुनौती नहीं होती.”
ज़ाहिर है, इस महान खिलाड़ी और अब भारतीय कोच की भी नज़र क्रिकेट की दुनिया की सबसे बड़ी मानी जाने वाली ट्रोफ़ी पर होगी ही.