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दिल्ली में जहरीली हवा से हर साल 12000 लोगों की मौत! इन 10 शहरों में एयर पॉल्यूशन बन रहा काल, देखें लिस्ट

Air Pollution Effect on Health: लैंसेट की नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश के 10 बड़े शहरों में हर साल 33 हजार लोग एयर पॉल्यूशन की वजह से जान गंवा देते हैं. इनमें सबसे ज्यादा मौतें राजधानी दिल्ली में होती हैं. मुंबई और कोलकाता में भी इससे हजारों मौतें हो रही हैं.

Air Pollution Deaths in India: एयर पॉल्यूशन लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है. एक नई स्टडी में पता चला है कि हर साल दिल्ली समेत देश के बड़े शहरों में हजारों लोग वायु प्रदूषण की वजह से जान गंवा रहे हैं. पॉल्यूशन की वजह से दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई समेत कई शहर प्रभावित हो रहे हैं, लेकिन इन सिटीज में राजधानी दिल्ली का हाल सबसे बुरा है. वायु प्रदूषण से भारत में सबसे ज्यादा मौतें दिल्ली में हो रही हैं. लैंसेट की नई स्टडी में एयर पॉल्यूशन से होने वाली मौतों का डराने वाले आंकड़ा सामने आया है. इस स्टडी में कई बड़ी बातें सामने आई हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक लैंसेट में प्रकाशित यह भारत में की गई अपनी तरह की पहली मल्टी-सिटी स्टडी है. इसमें पता चला है कि दिल्ली में हर साल होने वाली मौतों में से करीब 11.5 प्रतिशत मौतें एयर पॉल्यूशन की वजह से हो रही हैं. आंकड़ों से समझें तो राजधानी में प्रतिवर्ष लगभग 12,000 लोग जहरीली हवा की वजह से दम तोड़ रहे हैं. यह स्टडी देश के 10 बड़े शहरों में की गई थी. इसमें पता चला है कि अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, पुणे, शिमला और वाराणसी में हर साल औसतन 33,000 से ज्यादा मौतें वायु प्रदूषण के कारण होती हैं.

यहां देखें पॉल्यूशन से होने वाली मौतों के आंकड़े

दिल्ली 11964
मुंबई 5091
कोलकाता 4678
चेन्नई 2870
अहमदाबाद 2495
बेंगलुरु 2102
हैदराबाद 1597
पुणे 1367
वाराणसी 831
शिमला 59

दिल्ली में सबसे ज्यादा मौतें, शिमला में कम

एक तरफ दिल्ली में पॉल्यूशन की वजह से सबसे ज्यादा मौतें हो रही हैं, तो इन शहरों में से शिमला में मृत्यु दर सबसे कम है. हिमाचल की राजधानी शिमला में वायु प्रदूषण से हर साल सिर्फ 59 मौतें होती हैं, जो कुल मौतों का लगभग 3.7 प्रतिशत है. अध्ययन में कहा गया है कि इन 10 शहरों में कुल मौतों का लगभग 7.2 प्रतिशत यानी हर साल लगभग 33,000 लोगों की मौत वायु प्रदूषण के कारण होती है. अध्ययन में पाया गया कि भारत के इन 10 शहरों में PM 2.5 की कंसंट्रेशन डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा (15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) से बहुत अधिक है. इसका 99.8% दिन ऐसा ही हाल रहता है.

शोधकर्ताओं ने इस स्टडी के लिए 2008 से 2019 के बीच इन 10 शहरों में नागरिक रजिस्ट्रियों से डेली डेथ डाटा इकट्ठा किया. प्रत्येक शहर के लिए इस अवधि के दौरान केवल 3 से 7 साल का डेली डेथ डाटा उपलब्ध कराया गया था. इन शहरों में कुल मिलाकर 36 लाख से अधिक मौतों की जांच की गई. कई शहरों में वायु प्रदूषण डाटा पर शोधकर्ताओं ने पहले से विकसित मशीन-लर्निंग आधारित एक्सपोज़र मॉडल का इस्तेमाल किया.

पॉल्यूशन बढ़ने पर मौत का ज्यादा खतरा !

गौर करने वाली बात यह है कि इस स्टडी में सभी 10 शहरों में PM 2.5 के लेवल में प्रत्येक 10 माइक्रोग्राम/घन मीटर की वृद्धि पर मृत्यु दर में 1.42 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई. दिल्ली में मृत्यु दर में 0.31 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई जबकि बेंगलुरु में 3.06 प्रतिशत की वृद्धि हुई. इससे पता चला कि कम प्रदूषित शहरों में रहने वाले लोगों में प्रदूषित शहरों में रहने वाले लोगों की तुलना में पॉल्यूशन के कारण मौत का जोखिम अधिक है. रिसर्चर्स का कहना है कि इस स्टडी से भारत में पॉल्यूशन और हेल्थ को लेकर कई चीजें समझने में मदद मिल सकती है.

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