अमित शाह ने कहा, “राजद्रोह को हमने जड़ से समाप्त कर दिया है. पहले सरकार के खिलाफ बयान देना गुनाह था. ये कानून सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली का सृजन करेगी”.
अमित शाह ने आगे कहा, “राजद्रोह को हमने जड़ से समाप्त कर दिया है. पहले सरकार के खिलाफ बयान देना गुनाह था. ये कानून सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली का सृजन करेगी”. उन्होंने आगे बताया कि हमने कंप्यूटराइजेशन की प्रक्रिया 99.9 फीसदी पूरी कर ली है. 90 दिन के अंदर पीड़ित को केस का अपडेट ऑनलाइन भेजा जाएगा. ये कानून पीड़ित के पक्ष में बनाया गया है. साथ ही तलाशी या रेड दोनों ही मामलों में वीडियोग्राफी भी की जाएगी.
उन्होंने कहा, “न्याय प्रक्रिया अब संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में शामिल की जाएगी”.
शाह ने कहा पहले किसी बिल के लिए इतना विचार विमर्शन नहीं हुआ
अमित शाह ने बताया कि इस बिल को पारित करने के लिए लोकसभा में 9 घंटे 29 मिनट चर्चा की गई और राज्यसभा में 6 घंटे 17 मिनट चर्चा हुई. वहीं 2020 में शाह ने खुद सभी मुख्यमंत्रियों, सांसदों, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और सभी जिलों के जिलाधिकारियों और आईपीएस अधिकारियों को पत्र लिखकर इसका सुझाव दिया था.
उन्होंने कहा, “जो मूल बिल आया था, उसे स्थाई कमिटी के पास भेजा गया और इसकी अनुशंसा आने के बाद मूल बिल में 93 बदलाव किए गए थे. उन्होंने कहा, मेरा दफ़्तर हमेशा खुला है, आइए और चर्चा करिए… भारत के इतिहास में किसी और कानून को पारित करने से पहले इतना विचार विमर्श किसी और बिल के लिए नहीं हुआ है.”
FIR दर्ज करने के 3 साल तक मिलेगा लोगों को न्याय
अमित शाह ने बताया कि नए कानून के तहत पहला मामला रात को 12 बजकर 10 मिनट पर ग्लावियर में चोरी के लिए दर्ज किया गया था. उन्होंने कहा कि यह झूठ है कि पहला मामला स्ट्रीट वेंडर के खिलाफ दर्ज किया गया है. उन्होंने कहा, तीनों कानूनों के एक बार पूरी तरह से क्रियान्वित हो जाने के बाद एफआईआर दर्ज किए जाने से लेकर सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलने तक 3 साल से अधिक वक्त का समय नहीं लगेगा और मुझे इस पर भरोसा है.शाह ने बताया कि 15 अगस्त तक केंद्र शासित प्रदेसों में भी इसे पूरी तरह से लागू करने का लक्ष्य है. उन्होंने बताया कि इससे अपराध में भी 90 फीसदी तक रोक लग सकेगी क्योंकि बार-बार अपराध करने वालों पर ज्यादा सजा का प्रावधान किया गया है.