आयकर विभाग, यानी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने टैक्सपेयरों को चेताया है कि टैक्स बचाने के उद्देश्य से ITR में फ़र्ज़ी दावे करना न सिर्फ़ नाजायज़ है, बल्कि क़ानूनी रूप से दंडनीय अपराध भी है, और ऐसा करने की वजह से न सिर्फ़ उनके रिफ़ंड या प्रोसेसिंग में देरी हो सकती है, बल्कि करदाताओं को जुर्माना और कैद भी भुगतनी पड़ सकती है.
नई दिल्ली:
आज 31 जुलाई है, और उन सभी लोगों के लिए इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख (Last Date to file Income Tax Return) है, जिनका ऑडिट नहीं होता है. इसकी जद में सभी नौकरीपेशा लोग आ जाते हैं. आखिरी तारीख से पहले ही लगभग 6 करोड़ ITR फ़ाइल हो चुके हैं, लेकिन हड़बड़ी या जल्दबाज़ी में भी कुछ करदाता (टैक्सपेयर) टैक्स बचाने की जुगत में कुछ बेईमानी कर रहे हैं, जिनके ख़िलाफ़ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) ने भी चेतावनी दी है.
आयकर विभाग, यानी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने टैक्सपेयरों को चेताया है कि टैक्स बचाने के उद्देश्य से ITR में फ़र्ज़ी दावे करना न सिर्फ़ नाजायज़ है, बल्कि क़ानूनी रूप से दंडनीय अपराध भी है, और ऐसा करने की वजह से न सिर्फ़ उनके रिफ़ंड या प्रोसेसिंग में देरी हो सकती है, बल्कि करदाताओं को जुर्माना और कैद भी भुगतनी पड़ सकती है.
खर्च को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने तीन तरह के फ़र्ज़ीवाड़े का ज़िक्र विशेष रूप से किया है, जो इस वक्त ITR भर रहे करदाताओं द्वारा किए जा रहे हैं. इनमें सबसे पहला है – खर्चों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना. डिपार्टमेंट का कहना है, कुछ टैक्सपेयर किसी मद में सचमुच खर्च की गई रकम को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते हैं, ताकि टैक्स के लिए ज़्यादा रकम पर छूट हासिल की जा सके. बहुत-से लोग दवाओं और इलाज पर किए गए खर्च की रकम को बढ़ाकर दिखा रहे हैं, और फ़र्ज़ी बिल अपने पास जमा कर रहे हैं. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के मुताबिक, जांच में इसकी पोल खुलने पर करदाता को काफ़ी नुकसान हो सकता है.
बिना खर्च किए कटौती हासिल करना
दूसरी फ़र्ज़ीवाड़ा भी मिलता-जुलता ही है. ऐसे कई करदाता जांच में पकड़ में आए हैं, जिन्होंने किसी विशेष मद में कुछ भी खर्च किए बिना टैक्स छूट हासिल करने के लिए खर्च किए जाने का दावा किया है. वास्तव में खर्च किए बिना किसी रकम पर डिडक्शन या कटौती पाने की कोशिश करना जांच में शर्तिया सामने आ सकता है, और जांच की वजह से करदाता को रिफ़ंड मिलने या उनकी ITR प्रोसेस होने में विलंब भी होता है. इसके अलावा, फ़र्ज़ीवाड़ा पकड़ में आ जाने पर करदाता को गंभीर परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं.
वास्तविक आय को छिपाना
कुछ टैक्सपेयर ITR में अपनी वास्तविक आमदनी को छिपाने की कोशिश करते पाए गए हैं. इन लोगों ने वेतन के अतिरिक्त अन्य स्रोतों से हुई आय को छिपाने की कोशिश की है, ताकि उन्हें उस रकम पर टैक्स देना ही न पड़े. लेकिन जिस वक्त भी ये कोशिश पकड़ में आएगी, उन्हें न सिर्फ़ बकाया टैक्स के साथ-साथ जुर्माना अदा करना होगा, बल्कि जेल भी जाना पड़ सकता है.
सो, अब ध्यान रखें, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने साफ़-साफ़ कहा है, फ़र्ज़ी दावे करना न सिर्फ़ नैतिक रूप से गलत है, बल्कि क़ानूनन दंडनीय अपराध है, जिसके लिए जुर्माना और कैद हो सकती है. वैसे, फ़र्ज़ी दावों के कारण इनकम टैक्स रिटर्न की प्रोसेसिंग में भी अतिरिक्त वक्त लगता है, जिसके चलते रिफ़ंड आदि में भी विलंब होता है.