नई दिल्ली:हर भारतीय का एक न एक बार लेह लद्दाख जाने का सपना जरूर होता है और कई लोग अपने इस सपने को जीने के लिए लेह-लद्दाख का ट्रिप प्लान भी करते हैं और ट्रिप को बहुत एन्जॉय भी करते हैं. हालांकि, सभी यह बात भी जानते हैं कि लेह लद्दाख बहुत ही ऊंचाई पर स्थित है और इस वजह से वहां पर ऑक्सीजन लेवल भी काफी कम हो जाता है. ऐसे में चेन्नई के एक परिवार ने भी लेह का फैमिली ट्रिप तो प्लान किया था और हर तरह से सावधानी बरतने के बाद भी उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. इस वजह से आप भी इनके एक्सपीरियंस से यह सबक ले सकते हैं कि अगर आप खुद अपने परिवार के साथ लेह का ट्रिप प्लान कर रहे हैं तो क्या गलती न करें.
चेन्नई के ट्रेडर ने बताई आपबीती
चेन्नई के रहने वाले किरूबाकरण राजेंद्रन पेशे से ट्रेडर हैं. उन्होंने कुछ समय पहले ही अपने परिवार के साथ लद्दाख का ट्रिप प्लान किया था लेकिन 10 दिन का यह ट्रिप उन्हें कटडाउन करना पड़ा और हर तरह से तैयारी के साथ जाने के बाद भी उनका यह एक्सपीरियंस बुरे सपने में बदल गया. किरूबाकरण ने एक्स पर एक थ्रेड शेयर करते हुए अपना एक्सपीरियंस लोगों के साथ साझा किया है.
रिसर्च और तैयारी के बाद भी परेशानियों का करना पड़ा सामना
इस थ्रेड में उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी फैमिली के साथ इस ट्रिप की प्लानिंग की थी और रिसर्च के बाद उन्होंने अपनी ट्रिप के दौरान नुबरा वैली, पैंगोंग लेक, त्सोमोरिरी लेक, लामायुरू और हान्ले जाने का फैसला किया था. हालांकि, वह जानते थे कि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में एकदम से ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है और इसके लिए भी उन्होंने अपनी ओर से पूरी तैयारी की थी.
लेह एयरपोर्ट पर उतरते ही बिगड़ने लगी थी तबियत
अपनी रिसर्च से उन्हें पता चला था कि ऐसी जगह पर जाने पर एल्टीट्यूड सिकनेस हो जाती है और बॉडी को मौसम के हिसाब से खुद को एडजस्ट करने में 2 से 3 दिन का वक्त लग जाता है. इस वजह से यदि कोई फ्लाइट से लेह जा रहा है तो उन्हें 48 घंटों तक होटल में रहने की सलाह दी जाती है ताकि उनकी बॉडी लेह के मौसम के मुताबिक खुद को ढाल सके.
एल्टीट्यूड सिकनेस की दवाई भी रखी थी साथ
किरूबाकरण राजेंद्रन ने यह भी बताया कि उन्होंने diamox दवाई भी रखी थी, जो मौसम के मुताबिक ढलने में मदद करती है. साथ ही उन्होंने दो दिन लेह में रुकने का भी फैसला किया था लेकिन इसके बाद भी लेह में लैंड करते ही उन्हें और उनके 10 साल के बेटे को सांस लेने में परेशानी होने लगी थी. अपने साथ उन्होंने किसी तरह का भारी बैग कैरी नहीं किया था. उनके पास केवल तीन बैकपैक ही थे.
लेह के नजारों में खो जाने के बाद भी अच्छा नहीं रहा अनुभव
लेह के नजारों ने उन्हें लुभाया तो था लेकिन ऑक्सिजन कंडीशन में उनकी और उनके बेटे की बॉडी एडजस्ट नहीं कर पा रही थी. पहले उन्हें लगा कि एकदम से हाई एल्टीट्यूड में आने और मौसम बदलने की वजह से ऐसा हो रहा है और इस वजह से वो इसके लिए मानसिक रूप से तैयार थे. ऐसे में उन्होंने अपनी बॉडी को मौसम के मुताबिक ढल जाने का वक्त भी दिया और अपने होस्टल के रूम पर काफी देर आराम किया.
ऑक्सीजन सिलेंडर कैरी करते हैं लोग
उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने कई लोगों को अपने साथ ऑक्सीजन सिलेंडर ले जाते हुए देखा है क्योंकि पूरे लद्दाख में ऑक्सीजन लेवल बहुत कम है और इस वजह से कई टूरिस्ट्स को लद्दाख में सांस लेने में परेशानी होती है और उनकी बॉडी एडजस्ट नहीं कर पाती है. हालांकि, उनके लिए दो दिन बाद भी यह समस्या बनी रही. दो दिन तक लेह में रुकने के बाद भी उनके बेटे की हालत खराब थी और उसका ऑक्सीजन लेवल 65 से भी नीचे पहुंच गया था. साथ ही वो और उनका परिवार कुछ नहीं खा पा रहा था. उनके बेटे को कुछ भी खाने पर उल्टी हो रही थी और उनकी बॉडी डीहाइड्रेट हो रही थी.
तबियत ज्यादा बिगड़ने पर अगली फ्लाइट से आ गए वापसइस वजह से उन्होंने अपनी आगे की ट्रिप कैंसिल कर दी और अगली फ्लाइट से ही वापस चेन्नई जाने का फैसला किया. उन्होंने यह भी बताया कि चेन्नई में लैंड करते ही अपने आप उनकी और उनके बच्चे और पत्नी की तबियत एकदम ठीक हो गई. उन्हें न ही सांस लेने में परेशानी हो रही थी और न ही चक्कर आने जैसा लग रहा था और उनकी बॉडी वापस से चेन्नई के वातावरण में आसानी से ढल गई थी.