अधिकारियों की मानें तो हरियाणा ने रविवार को मुनक नहर से दिल्ली (Water Crisis) के लिए 1161 क्यूसेक पानी छोड़ा था. जब कि छोड़ना सिर्फ 1050 क्यूसेक पानी होता है. मतलब तय मात्रा से ज्यादा पानी छोड़ा गया, लेकिन कुल 960.78 क्यूसेक पानी ही बवाना तक पहुंच सका.
नई दिल्ली:
भीषण गर्मी के बीच दिल्ली पानी के लिए तरस रहा है, लेकिन हरियाणा उसे पानी नहीं दे रहा, ये आरोप दिल्ली सरकार का है. लेकिन अधिकारियों का कहना है कि हरियाणा ने तो पानी छोड़ा था लेकिन 20 परसेंट के करीब पानी रास्ते में ही गायब हो गया. अब सवाल ये है कि आखिर गायब पानी से कौन अपनी प्यास बुझा रहा है. दिल्ली में जारी जल संकट (Delhi Water Crisis) के बीच हरियाणा और दिल्ली में ठनी हुई है. भीषण गर्मी के बीच राजधानी दिल्ली इन दिनों पानी के भीषण संकट से जूझ रही है. सुप्रीम कोर्ट के पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश को 137 क्यूसेक पानी दिल्ली के लिए छोड़ने का आदेश दिया था. लेकिन अदालत के आदेश के बावजूद भी दिल्ली को पानी नहीं मिल पा रहा है. इस पर दिल्ली सरकार ने चिंता जताई है.
दिल्ली के हक के पानी से बुझ रही किसकी प्यास?
दिल्ली सरकार का कहना है कि इन पानी के दिल्ली तक पहुंचने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है हरियाणा. जब कि अदालत ने हरियाणा से भी साफ शब्दों में कहा था कि वह दिल्ली तक पानी पहुंचाने में पूरा सहयोग करे. इस पानी की बर्बादी न हो, इस बात का भी पूरा ध्यान रखा जाए. दिल्ली सरकार का आरोप है कि यह अतिरिक्त पानी दिल्ली को अब तक नहीं मिल सका है. इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी और सौरभ भारद्वाज ने एलजी विनय सक्सेना संग बातचीत भी की. हालांकि एलजी संग हुई बैठक में अधिकारियों ने दावा किया कि हरियाणा तय मात्रा से ज्यादा पानी मुनक नहर में छोड़ रहा है लेकिन करीब 20 परसेंट पानी रास्ते में भी गायब हो रहा है. सवाल ये है कि आखिर पानी जा कहां रहा है.
कहां गायब हो रहा 20 प्रतिशत पानी?
अधिकारियों की मांग है कि पानी की भीषण किल्लत के बीच बवाना तक आते-आते इतने ज्यादा पानी के गायब होने का पता लगाना बहुत जरूरी है. जिसके बाद एलजी ने हरियाणा को गायब हो रहे पानी का पता लगाने का आदेश दिया. अपर यमुना रिवर बोर्ड के अधिकारियों ने दिल्ली-हरियाणा के अधिकारियों संग रविवार को मुनक नहर का निरीक्षण भी किया था. जिससे पता चला है कि हरियाणा पानी तो छोड़ रहा है लेकिन ये दिल्ली तक पहुंच नहीं रहा. 18 से 20 परसेंट पानी रास्ते में ही गायब हो रहा है, जो चिंता का विषय है.
पानी पर हरियाणा-दिल्ली में रार
अधिकारियों की मानें तो हरियाणा ने रविवार को मुनक नहर से दिल्ली के लिए 1161 क्यूसेक पानी छोड़ा था. जब कि छोड़ना सिर्फ 1050 क्यूसेक पानी होता है. मतलब तय मात्रा से ज्यादा पानी छोड़ा गया, लेकिन कुल 960.78 क्यूसेक पानी ही बवाना तक पहुंच सका. 18 प्रतिशत यानी कि कुल 200 क्यूसेक पानी रास्ते में भी गायब हो गया. अब सवाल ये है कि इतना पानी गया कहां. अधिकारियों का मानना है कि 5 प्रतिशत से ज्यादा पानी कम नहीं होना चाहिए. ये पहली बार नहीं है जब पानी गायब होने का मुद्दा उठाया गया है. 5 जून को हुई बैठक में ही अधिकारियों ने पानी गायब होने का मुद्दा उठाया था.
पानी की लीकेज या चोरी?
मुनक ही वो नहर है, जिसके जरिए दिल्ली के 9 वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट्स में से 7 को पानी मिलता है. दिल्ली की नहरों की मरम्मत नहीं हुई है, जिस वजह से पानी लीक हो रहा है. वहीं कई जगहों पर टैंकरों के जरिए जमाखोर पानी चोरी करने में जुटे हुए हैं. पानी चोरी होने की तस्वीरें भी बैठक में शेयर की गई हैं. एलजी ने लीकेज का मुद्दा उठाते हुए कहा कि पाइपलाइन की मरम्मत नहीं होने की वजह से बहुत ज्यादा पानी बर्बाद हो जाता है. मंत्रियों ने जलबोर्ड के साथ योजना तैयार कर रोकने की बात कही है.
क्या है दिल्ली सरकार का आरोप?
मंत्री आतिशी का कहना है कि हरियाणा अब भी पानी की राह में रोड़ा बना हुआ है और मुनक नहर के जरिए राजधानी के लोगों को उनके हिस्से का 1,050 क्यूसेक पानी देने को तैयार नहीं है. आतिशी ने कहा कि हिमातल और हरियाणा के बीच चल रहे विवाद की वजह से हरियाणा ने 140 क्यूसेक तक पानी की कटौती कर दी है. उन्होंने एलजी से हरियाणा से इस मुद्दे पर बात करने की भी अपील की. दिल्ली सरकार का दावा है कि हर साल जून में हरियाणा से मुनक कैनाल से दिल्ली के लिए 1050 क्यूसेक पानी छोड़ा जाता है. इस दौरान 990 क्यूसेक से ज्यादा पानी दिल्ली के एंट्री पॉइंट पर पहुंचता है. लेकिन पिछले एक हफ्ते में बहुत कम पानी ही दिल्ली को मिल रहा है. 7 जून को यह 840 क्यूसेक के स्तर पर था. दिल्ली के साथ ही वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट भी मुनक कैनाल से आने वाले पानी पर निर्भर हैं. वजीराबाद वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का 30 MGD साफ पानी का प्रोडक्शन कम हुआ है, जिसका दिल्ली पर गंभीर असर हो रहा है.