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NEET रिटेस्ट की इनसाइड स्टोरी: 813 में 60% छात्र लाए ज्यादा नंबर, पर ग्रेस मार्क्स वाले स्कोर को नहीं छोड़ पाए पीछे

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पांच मई को आयोजित नीट-यूजी में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी एक संदर्भ के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की है. पेपर लीक के दावों की जांच की मांग को लेकर छात्रों द्वारा देशव्यापी विरोध प्रदर्शन और अदालतों में याचिकाएं दायर के बीच इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी.

नटीए ने नीट-यूजी के लिए पुन: परीक्षा का आयोजन 23 जून को किया था.

नई दिल्ली:राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) द्वारा सोमवार को घोषित संशोधित परिणामों के अनुसार मेडिकल प्रवेश परीक्षा राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) में शीर्ष स्थान प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या 67 से घटकर 61 रह गई है. एनटीए ने 5 मई को आयोजित की गई परीक्षा में छह केंद्रों पर देरी से परीक्षा शुरू होने के कारण समय के नुकसान की भरपाई के लिए 1,563 परीक्षार्थियों को ग्रेस मार्क्स दिए थे. इन्हीं परीक्षार्थियों के लिए पुन: परीक्षा आयोजित की गई थी. TOI में छपी खबर के अनुसार 813 नीट परीक्षार्थियों में से 60% ने पुन: परीक्षा में पहले के मुकाबले ज्यादा अंक (मूल अंक) हासिल तो किए हैं, लेकिन अपने ग्रेस मार्क्स वाले स्कोर को छू नहीं पाए. इनमें 5 में से 4 छात्र ऐसे भी थे जिनके ग्रेस मार्क्स जोड़ने के बाद कुल स्कोर 720 रहा था. केवल एक छात्र ऐसा रहा जिसके अंकों में केवल 4 अंक की कमी आई.

किसी भी उम्मीदवार ने 720 में 720 अंक हासिल नहीं किए हैं. 6 टॉपर्स में से 5 उम्मीदवारों ने नीट की दोबारा परीक्षा दी थी. लेकिन वे भी पूरे 720 अंक हासिल नहीं कर पाए.

7 केंद्रों पर आयोजित हुई थी पुन: परीक्षा

23 जून को 7 केंद्रों पर आयोजित की गई पुनः परीक्षा में 1,563 परीक्षार्थियों में से 48 प्रतिशत उपस्थित नहीं हुए थे. 1,563 परीक्षार्थियों में से 813 ने दोबारा परीक्षा दी थी. जबकि अन्य ने ग्रेस मार्क्स छोड़ने का विकल्प चुना था. चंडीगढ़ केंद्र में सिर्फ दो अभ्यर्थियों को परीक्षा देनी थी, वहां एक भी परीक्षार्थी उपस्थित नहीं हुआ. जांच के घेरे में आए हरियाणा के झज्जर जिले के केंद्र पर 58 प्रतिशत उपस्थिति रही, जहां 494 परीक्षार्थियों में से 287 ने पुन:परीक्षा दी.

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1,563 उम्मीदवारों में से 750 ने बिना ग्रेस मार्क्स के अपने स्कोर को बरकरार रखने का विकल्प चुना था. जिसके कारण  उनकी रैंक गिर गई. हालांकि उनके मूल अंक; यानी, बिना ग्रेस मार्क्स के उन्हें अच्छे सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीट दिलाने के लिए पर्याप्त है.

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एनटीए के एक अधिकारी ने पहले कहा था, ‘‘कम से कम 52 प्रतिशत – 1,563 उम्मीदवारों में से 813 – पुनः परीक्षा में शामिल हुए. चंडीगढ़ में कोई भी अभ्यर्थी उपस्थित नहीं हुआ, जबकि छत्तीसगढ़ से उपस्थित होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या 291, गुजरात से एक, हरियाणा से 287 और मेघालय से 234 थी.”

कथित अनियमितताएं और प्रश्वपत्र लीक का आरोप

एनटीए की ओर से पांच मई को 571 शहरों में 4,750 केंद्रों पर नीट-यूजी का आयोजन किया गया था, जिसमें 14 विदेशी शहर भी शामिल थे. लगभग 24 लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी. छह केंद्रों पर परीक्षा देरी से शुरू होने के कारण समय की हानि की भरपाई के लिए ग्रेस अंक दिए गए थे. कई छात्रों को ग्रेस अंक देने की वजह से उनका स्कोर 720 पहुंच गया था. जिससे टॉपर की संख्या 67 आए गई थी. टॉपर्स में से छह हरियाणा के एक ही केंद्र से थे, जिन्हें ग्रेस मार्क्स दिए गए थे. ये इतिहास में पहली बार था कि 67 छात्राओं ने इस परीक्षा में टॉप किया था.

इतने टॉपर्स होने का मतलब था कि सबसे प्रतिष्ठित संस्थान एम्स में भी टॉपर्स को दाखिला नहीं मिल पाता. क्योंकि यहां केवल 50-60 छात्रों का ही दाखिल होता है. प्रश्नपत्र लीक सहित अनियमितताओं के आरोपों के कारण विरोध प्रदर्शन हुए और अदालत में याचिकाएं दायर की गईं और विभिन्न वर्गों ने संपूर्ण रूप से पुन: परीक्षा की मांग की थी.

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शिक्षा मंत्रालय का रुख

मंत्रालय ने छात्रों को दिए गए ग्रेस मार्क्स की समीक्षा के लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के पूर्व अध्यक्ष की अध्यक्षता में चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया था. साथ ही राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) के महानिदेशक सुबोध सिंह को उनके पद से हटा दिया गया था. एनटीए ने ग्रेस मार्क्स वाले छात्रों को फिर से परीक्षा देने या ग्रेस मार्क्स छोड़ने का विकल्प दिया था. पुन: परीक्षा का आयोजन 23 जून को हुआ था और 30 जून को इसके नतीजे जारी किए गए थे.

सीबीआई कर रही है जांच   

परीक्षा आयोजित करने में हुई कथित अनियमितताओं की जांच  केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी गई है. सीबीआई ने इस मामले में छह प्राथमिकी दर्ज की हैं. बिहार में दर्ज प्राथमिकी प्रश्नपत्र लीक होने से संबंधित है, जबकि गुजरात और राजस्थान में दर्ज प्राथमिकी अभ्यर्थियों के स्थान पर किसी और व्यक्ति के परीक्षा देने और धोखाधड़ी से संबंधित है.

 

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