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कारगिल युद्ध के दौरान जब जॉर्ज फर्नांडिस की आंखों मे थे आंसू…समझिए सेना के लिए 1.45 लाख करोड़ के हथियारों का फैसला क्यों अहम है

करगिल युद्ध के दौरान भारत को अपने कई मित्र देशों से भी गोला-बारूद खरीदना पड़ा था. साथ ही साथ नागपुर की OFA फैक्टरी में भी युद्ध स्तर पर गोला-बारूद को तैयार किया जा रहा था, ताकि सीमा पर सैनिकों तक समय पर इसकी आपूर्ति कराई जा सके.

नई दिल्ली:

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) की अध्यक्षता में डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल ने 1.45 लाख करोड़ रुपये के कुल 10 प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है. इस बजट को मिली मंजूरी के बाद अब भविष्य के लिए तैयार फाइटर जेट्स, एयर डिफेंस फायर कंट्रोल रडार, डोर्निसर-228 विमान जैसे विमान और उपकरण खरीदे जाएंगे. मोदी सरकार लगातार देश के रक्षा बजट को बढ़ाते हुए देश की सुरक्षा को और पुख्ता कर रही है. बीते 10 सालों में भारत ने अपने कुल बजट का एक अच्छा का खासा हिस्सा रक्षा क्षेत्र  ( Defence budget) पर भी खर्च किया है. सरकार रक्षा क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने पर भी खासा ध्यान दे रही है. आज भारत अपनी सुरक्षा के साथ-साथ दूसरे देशों को भी हथियार मुहैया कराने में सक्षम है.

आज का भारत नया भारत है. जो ना सिर्फ अपनी रक्षा करने में सक्षम बल्कि जरूरत पड़ने पर दुश्मनों को करारा जवाब देने की भी हिम्मत रखता है. लेकिन आज से 25 साल पहले यानी 1999 में जब करगिल युद्ध (Kargil War) हुआ तो भारत इस स्थिति में नहीं था. स्थिति कुछ यूं थी कि देश को कई मित्र देशों से गोला-बारूद खरीदने तक पड़े थे. इतना ही नहीं देश के तत्कालीन रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडिस को नागपुर स्थित ऑर्डनन्स फैक्टरी जाकर कर्मचारियों की हौसला अफजाई भी करनी पड़ी थी. चलिए आज हम आपको बतातें कि उस दौरान जार्ज फर्नांडिस ने क्या कुछ कहा था…

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“हमारे सैनिक पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं, उन्हें जरूरत है तो सिर्फ लगातार गोला-बारूद के सप्लाई की. बस आप हिम्मत ना हारिएगा. अब भारत का भविष्य आपके हाथों में है…” 1999 में करगिल युद्ध के दौरान तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस के ये शब्द नागपुर के ऑर्डनन्स फैक्टरी अंबाझरी (OFA) में काम कर रहे हर कर्मचारी के भीतर ऊर्जा का नया संचार करने वाला था. अपने रक्षा मंत्री की यह बात सुनने के साथ ही OFA के कर्मचारियों ने शरहद पर तैनात 155 mm तोपों के लिए और तेजी से गोले बनाने में जुट गए.इस फैक्टरी के तमाम कर्मचारियों का सिर्फ एक ही मकसद था कि पाकिस्तान को धूल चटा रहे हमारे सैनिकों को गोला-बारूद की किसी तरह की कमी ना हो. ऐसे में अगर ये कहा जाए कि 1999 में लड़ा गया करगिल युद्ध सिर्फ करिगल की पहाड़ियों में ही नहीं बल्कि नागपुर की OFA (गोला-बारूद बनाने वाली ) से भी लड़ा जा रहा था, तो इसमें कुछ गलत नहीं होगा.

 

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जब युद्ध के बीच में नागपुर पहुंचे जॉर्ज फर्नांडिस

उधर, करगिल में पाकिस्तान के सैनिकों को भारतीय सेना मुंहतोड़ जवाब  दे रही थी. युद्ध चरम पर था और इसी बीच देश के रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस वॉर रूम को छोड़कर नागपुर पहुंच गए. उन्हें सूचना मिली थी कि सीमा पर सैनिकों के पास गोला-बारूद की कमी हो सकती है. ऐसे में इसकी आपूर्ति को और बढ़ाने की जरूरत है. रक्षा मंत्री को पता था कि सीमा पर जिन गोला-बारूद और गोलियों की आपूर्ति कराई जा रही है उन्हें नागपुर की इसी फैक्टरी में बनाया जाता है. लिहाजा, वो बगैर वक्त गंवाए. उस फैक्टरी में पहुंचे.

जब जॉर्ज फर्नांडिस ने कर्मचारियों से कहा अब सब आपके हाथ में है

इधर, हर बीतते घंटे के साथ भारत के सैनिक पाकिस्तानी सेना के बख्तरों को बर्बाद कर रहे थे. उधर, जॉर्ज फर्नांडिस गोला-बारूद बनाने वाली फैक्टरी की असेंबली लाइन पर तमाम कर्मचारियों का हौसला बढ़ा रहे थे. ताकि वह सीमा पर भेजे जाने वाले गोला-बारूद और गोलियों की सप्लाई और बढ़ा सकें. जॉर्ज फर्नांडिस ने इस दौरान वहां काम कर रहे कर्मचारियों से कहा कि ये समय हमारे सैनिकों के लिए बेहद नाजुक है. वो सीमा पर लगातार चौबीसों घंटे दुश्मनों के बंकरों को तबाह करने में लगे हैं. उन्हें आपके आपके साथ की जरूरत है. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि भारत का सम्मान अब आपके हाथ में ही है.

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कर्मचारियों के जज्बे को देख भर आई थी जॉर्ज फर्नांडिस की आंख

कहा जाता है कि जॉर्ज फर्नांडिस जैसे ही नागरपुर की इस फैक्टरी में पहुंचे तो उन्होंने पहले पूरे फैक्टरी का दौरा किया. देखा कि कहां पर कौन से हथियार के लिए कौन से गोले-बारूद बनाए जा रहे हैं. इस दौरान उन्होंने देखा कि वहां काम कर रहे कर्मचारी अपनी परवाह किए बगैर जल्द से जल्द ज्यादा से ज्यादा गोला-बारूद बनाने में लगे हैं. जॉर्ज फर्नांडिस इन कर्मचारियों को काम करता भावुक हो गए. उनकी आंखें ये देखकर नम हो गईं कि इस फैक्टरी के लोग देश को सुरक्षित रखने और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए कैसे तपते लोहों के बीच लगातार काम कर रहे थे.

हमारे पास बंदूक हैं लेकिन जरूरत है तो सिर्फ गोलियों की

करगिल युद्ध के दौरान इस फैक्टरी में बतौर डिप्टी जनरल मैनेजर काम कर रहे विनोद मुनघाटे ने TOI से कहा कि उस समय फैक्टरी में काम कर रहे कर्मचारियों से जॉर्ज फर्नांडिस ने कहा था कि पाकिस्तान को हम मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं. हमारे सैनिक लगातार पाकिस्तान के नापाक इरादों को नाकामयाब बना रहे हैं. हमारे पास पर्याप्त बंदूक हैं लेकिन हमे जरूरत है तो उसमें इस्तेमाल होने वाली गोलियों की. जॉर्ज फर्नांडिस की इस टिप्पणी से नागपुर की इस फैक्टरी में काम करने वाले हर कर्मचारी को इतना ऊर्जावान बना दिया कि उन्होंने प्रोड्क्शन को पहले की तुलना में काफी बढ़ा दिया.

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डिप्टी जनरल मैनेजर ने आगे कहा कि उन दिनों हाई-टेक मशीनें नहीं थीं. मजदूर सुलगते हुए लोहे के टुकड़ों को चिमटे से खींचते थे और दूसरी मशीन में रखकर उसे खोल का आकार देते थे. जब फर्नांडीस ने श्रमिकों को गर्मी में कड़ी मेहनत करते देखा तो वह टूट गए और जल्द ही रोबोटिक मशीन बनाने का निर्णय लिया गया.

करगिल युद्ध के दौरान दूसरे देशों से खरीदना पड़े थे महंगे गोले-बारूद 

करगिल युद्ध में शामिल सेना के कई बड़े अफसरों का मानना है कि उस दौरान जब गोला-बारूद कम पड़ने लगे थे तो उस समय की सरकार को कई दूसरे देशों से महंगे गोला-बारूद खरीदने पड़े थे. कहा तो ये भी जाता है कि उस दौरान कुछ मित्र देशों ने भी गोला-बारूद देने के लिए भारत सरकार तय कीमत से कहीं ज्यादा पैसे लिए थे. (कुछ तस्वीरें AI से ली गई हैं)

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