Waqf Amendment Bill : केंद्र सरकार ने इस बिल को लोकसभा में पेश किए जाने से पहले कहा था कि इस बिल को पेश करना मकसद वक्फ की संपत्तियों का सुचारू रूप संचालित करना और उसकी देखरेख करना
केंद्र द्वारा इस बिल को पेश किए जाने का विपक्षी दलों ने विरोध किया और इसे एक समुदाय विशेष के खिलाफ बताया है. कांग्रेस के सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि इस बिल को लाकर केंद्र धर्म और आस्था पर हमला कर रही है. वहीं, एनसीपी (एसपी) की नेता सुप्रिया सुले ने भी इस बिल को वापस लेने की बात कही. उन्होंने कहा कि इस बिल को पेश किए जाने से पहले विपक्षी दलों से बात तक नहीं की गई है. इस बिल में क्या कुछ है इसे हमें पढ़ने तक नहीं दिया गया है. विपक्षी दलों को बिल की कॉपी पहले ना दिए जाने के सवाल पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि ऐसा कहना पूरी तरह से गलत है. ये बेबुनियाद आरोप है.
डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने कहा कि यह बिल एक समुदाय के खिलाफ है. यह संविधान के अनुच्छेद 14 का साफ तौर पर उल्लंघन करता है. यह सेक्युलर देश है. यहां बहुधर्मी, बहुभाषी लोगों का देश है. मैं इस बिल का विरोध करती हूं. इस बिल को लेकर AIMIM के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि आप मुसलमानों के दुश्मन हैं, ये बिल इसी बात का सबूत है. आप इस बिल की मदद से मुझे प्रार्थना करने से भी रोक रहे हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी के सांसद मोहिबुल्लाह ने कहा कि ये बिल मुसलमानों के साथ अन्याय करने जैसा है. हम बहुत बड़ी गलती करने जा रहे हैं, इस बिल का खामियाजा हमें सदियों तक भुगतना पड़ेगा.यह किसी धर्म में हस्तक्षेप करने जैसा है. कुरान या इस्लाम में क्या लिखा है, ये आप तय नहीं करेंगे.
इसके बाद पंचायती राज मंत्री और जेडीयू के सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने कहा कि कई सदस्य की बात सुनने से लग रहा है कि ये मुसलमान विरोधी है. मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि कौन सा कानून विरोधी है. मंदिर और संस्था का अंतर समझ नहीं आ रहा है तो ये कौन सा तर्क है. कानून से बनी संस्था को पारदर्शी बनाने के लिए कानून बनाया जा रहा है.कोई निरंकुश सस्था उसमें पादर्शिता लाने के लिए सरकार को हक है कानून बनाने का.ये मंदिर से तुलना कर रहे हैं. धर्म के नाम पर बंटवारा नहीं हो रहा, ये भ्रम फैला रहे हैं. केसी वेणुगोपाल अल्पसंख्यक की बात कर रहे हैं. देश में हजारों सिखों का नरसंहार किसने किया आपकी पारटी ने किया हम उसके गवाह हैं.सड़कों पर घूम घूम कर सिखो की हत्या करने वाले आज अल्पसंख्यकों की दुहाई दे रहे हैं.
हम आपको वक्फ बोर्ड संसोधन बिल से जुड़ी चार प्रमुख बातें बताने जा रहे हैं. इस बिल के तहत सभी मौजूदा वक्फ संपत्तियों को नियमित करने का प्रावधान है.इस नए कानून के लागू होने के छह महीने के भीतर पोर्टल और डेटाबेस पर मौजूदा वक्फ संपत्तियों की जानकारी देना अनिवार्य.सभी वक्फ संपत्तियों की सीमा, पहचान , उनका उपयोग और उसको इस्तेमाल करने वाले की जानकारी.वक्फ बनाने वाले का नाम और पता, तरीका और तारीख. वक्फ की देखरेख और प्रबंधन करने वाले मुतवल्ली की जानकारी. वक्फ संपत्ति से होने वाली सालाना आमदनी की जानकारी.
कोर्ट में लंबित मामलों की जानकारी भी देना होगा
संपत्ति वक्फ की है या नहीं , इसका फैसला राज्य वक्फ बोर्ड नहीं कर सकेंगे. कानून लागू होने के बाद हर नई वक्फ संपत्ति का रजिस्ट्रेशन और वेरिफिकेशन अनिवार्य होगा. नया वक्फ संपत्ति दस्तावेज़ के बिना नहीं बनाया जा सकेगा. नए वक्फ संपत्ति के रजिस्ट्रेशन के लिए वक्फ बोर्ड में आवेदन देना होगा. आवेदन की जांच के लिए वक्फ बोर्ड ज़िला कलेक्टर के पास भेजेगा.ज़िला कलेक्टर के पास ही आवेदन की जांच का अधिकार. कलेक्टर की रिपोर्ट के बाद ही वक्फ का रजिस्ट्रेशन होगा. अगर कलेक्टर ने रिपोर्ट में संपत्ति को विवादित या सरकारी ज़मीन करार दिया तो रजिस्ट्रेशन नहीं होगा.रजिस्ट्रेशन होने पर सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा. कोई भी सरकारी ज़मीन वक्फ की संपत्ति नहीं बनाई जा सकेगी. कानून लागू होने के बाद वक्फ संपत्ति घोषित हो चुके मौजूदा सरकारी संपत्तियों को वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा. ज़मीन सरकारी है या नहीं , इसकी जांच और निर्णय लेने का अधिकार कलेक्टर के पास रहेगा.जिन वक्फ संपत्तियों की जांच सर्वे कमिश्नर कर रहे , उनकी जांच कलेक्टर को सौंपी जाएगी.
केंद्रीय वक्फ काउंसिल और राज्य वक्फ बोर्डों को ज़्यादा व्यापक और सर्व समावेशी बनाने का प्रावधान
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री काउंसिल के चेयरमैन होंगे , तीन सांसद भी होंगे सदस्य. केंद्रीय काउंसिल के सदस्यों में 2 महिलाओं को शामिल करना अनिवार्य होगा. दो गैर मुस्लिम सदस्य भी होंगे. मैनेजमेंट , वित्तीय मैनेजमेंट , प्रशासन और इंजीनियरिंग या आर्किटेक्चर जैसे क्षेत्रों से भी सदस्य बनाए जाएंगे. राज्य वक्फ बोर्डों में अधिकतम 11 सदस्यों का प्रावधान होगा. दो महिला और दो गैर मुस्लिम सदस्यों का प्रावधान. बोहरा और आगाखानी समुदाय से भी सदस्य बन सकेंगे. सदस्यों में शिया , सुन्नी और ओबीसी वर्ग का कम से कम एक प्रतिनिधि अनिवार्य.
विवाद की स्थिति में वक्फ ट्रिब्यूनल के फ़ैसले को ऊंची अदालतों में चुनौती देने का प्रावधान है. इस बिल के तहत 90 दिनों के भीतर हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी. फिलहाल ट्रिब्यूनल का फ़ैसला ही अंतिम फ़ैसला होगा.