देश में वायु प्रदूषण की स्थिति दिन-पर-दिन खराब होती जा रही है। दिल्ली-एनसीआर का हाल सबसे ज्यादा बेहाल है। इस बीच एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले पांच साल में दिल्ली देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा है। इसमें यह भी कहा गया है कि देश के चार प्रमुख शहरों में वायु प्रदूषण बढ़ा है, जबकि वहीं, लखनऊ और पटना जैसे शहरों में इसमें गिरावट देखी गई है।
लखनऊ-पटना का हाल
रिपोर्ट के मुताबिक, लखनऊ और पटना में अक्तूबर का पीएम 2.5 का स्तर 2022 और 2023 के बीच कम हुआ। हालांकि, यह पिछले कुछ वर्षों की तुलना में ज्यादा ही दर्ज किया गया। लखनऊ में 2019 और 2020 के बीच पीएम 2.5 में 55.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 2021 में इसमें 53.4 प्रतिशत की गिरावट आई। 2022 में इसमें फिर से 6.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई और 2023 में फिर से 0.9 प्रतिशत की गिरावट आई।
इस तरह पटना में पीएम 2.5 में 2019 और 2020 के बीच 14 फीसदी की गिरावट देखी गई। 2021 में इसमें 36.7 प्रतिशत की गिरावट आई। इसके बाद 2022 में इसमें 47.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। फिर 2023 में इसमें 11.1 फीसदी की गिरावट आई।
बंगलूरू-चेन्नई का हाल
बंगलूरू और चेन्नई में अक्तूबर का पीएम 2.5 का स्तर 2022 और 2023 के बीच गिरा। बंगलूरू में 2019 और 2020 के बीच पीएम 2.5 में 72.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। 2021 में इसमें 5.8 फीसदी की मामूली गिरावट आई। 2022 में इसमें फिर से 29.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई और 2023 में एक बार फिर 11.6 प्रतिशत की गिरावट आई। इसी तरह चेन्नई में पीएम 2.5 2019 और 2020 के बीच 43.2 प्रतिशत बढ़ा। 2021 में यह 27.8 फीसदी गिर गया। 2022 में फिर से यह 61.6 प्रतिशत बढ़ गया और 2023 में 23.7 प्रतिशत कम हो गया।
मुंबई में लगातार दूषित हो रही हवा
रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई में 2019 से 2023 तक अक्तूबर का पीएम 2.5 स्तर लगातार बढ़ा। यह वायु गुणवत्ता में गिरावट का संकेत है। मुंबई में पिछले महीने एक साल पहले अक्तूबर की तुलना में प्रदूषण 42 प्रतिशत से अधिक दर्ज किया गया। पहले के वर्षों में पीएम 2.5 2019 और 2020 के बीच बढ़ा (54.2 प्रतिशत) और 2021 (3 प्रतिशत) व 2022 (0.9 प्रतिशत) में थोड़ा कम हुआ ।
हैदराबाद और कोलकाता का हाल
हैदराबाद और कोलकाता में अक्तूबर का पीएम 2.5 का स्तर 2022 की तुलना में 2023 में बढ़ा हुआ पाया गया। हैदराबाद में पीएम 2.5 2019 और 2020 के बीच 59 प्रतिशत तक बढ़ा। 2021 में इसमें 2.9 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। 2022 में यह 29.1 प्रतिशत तक कम हुआ, लेकिन 2023 में फिर से 18.6 प्रतिशत बढ़ गया। कोलकाता में पीएम 2.5 2019 और 2020 के बीच 26.8 प्रतिशत कम पाया गया। 2021 में यह 51.7 प्रतिशत तक बढ़ा। 2022 में फिर 33.1 प्रतिशत कम हो गया और 2023 में फिर से 40.2 प्रतिशत बढ़ गया।