ANN Hindi

अरब सागर से भारत आ रहे जहाज पर हमले के बीच पीएम मोदी ने सऊदी क्राउन प्रिंस से की बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से फ़ोन पर बातचीत की है.

दोनों के बीच ये बातचीत ऐसे समय में हुई है, जब इसराइल और हमास के बीच दो महीने से ज्यादा समय से युद्ध जारी है और लाल सागर में जहाजों पर हूती विद्रोहियों के हमले ने समुद्री यातायात को प्रभावित कर दिया है.

दोनों ही नेताओं ने पश्चिम एशिया में ‘शांति, सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के लिए काम करने पर सहमति जताई है.

इस बातचीत के बाद पीएम मोदी ने एक ट्वीट में कहा, “मेरे भाई माननीय प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुल्ल अज़ीज़ अल सऊद के साथ बातचीत अच्छी रही. उनसे सऊदी अरब और भारत के बीच रणनीतिक साझेदारी के भविष्य पर चर्चा हुई.”

”हमने पश्चिम एशिया के मौजूदा हालात, आतंकवाद, हिंसा और लोगों की मौतों पर चिंताएं प्रकट की और इस क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए साथ काम करने पर सहमति जताई है.”

सऊदी अरब

अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम पर बातचीत

वहीं, सऊदी अरब विदेश मंत्रालय की तरफ़ से भी इस संबंध में बयान जारी किया गया है. बयान में कहा गया है कि भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस को फ़ोन करके दोनों देशों के बीच संबंधों पर बातचीत की.

दोनों ही नेताओं ने आपसी संबंधों और प्रगाढ़ करने के नए रास्ते तलाशने पर बातचीत के साथ आपसी हितों से जुड़े कई साझा मुद्दों, अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम और इस संबंध में किए गए प्रयासों के बारे में भी बातचीत की.

पिछले सप्ताह इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू और पीएम मोदी की भी बातचीत हुई थी.

सात अक्तूबर को इसराइल पर हमास के हमले और उसके बाद शुरू हुई इसराइल की जबाबी कार्रवाई के बाद से इस पूरे इल़ाके में तनाव बढ़ गया है. लाल सागर में हूती विद्रोहियों के हमले की वजह से घटनाक्रम और तेज़ी से बदल रहे हैं.

हाल के दिनों में यमन में मौजूद ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने लाल सागर से होकर गुज़र रहे जहाज़ों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए हैं. इस कारण कई जहाज़ों को अपना रास्ता बदलना पड़ा है.

भारत और सऊदी अरब के संबंधों में जटिलताएं

सऊदी

इसी साल सितंबर महीने में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान जी-20 समिट में शामिल होने नई दिल्ली आए थे. समिट के बाद के दौरान ही इंडिया-यूरोप मध्य पूर्व कॉरिडोर को लेकर समझौता हुआ था.

इस समझौते को अंजाम तक पहुँचाने में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की अहम भूमिका मानी जाती है. इस कॉरिडोर को चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की काट के रूप में देखा जा रहा है.

लेकिन इसराइल का ग़ज़ा पर हमले के बाद से इस कॉरिडोर के भविष्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. इस कॉरिडोर में सऊदी अरब, यूएई, जॉर्डन, इसराइल और यूरोप के देश हैं. लेकिन ग़ज़ा में इसराइल के आक्रामक रुख़ से अरब के इस्लामिक देश ख़फ़ा हैं और वे चाहते हैं कि भारत भी इसराइल के ख़िलाफ़ बोले. लेकिन भारत के इसराइल और अरब दोनों से हित जुड़े हैं और किसी एक के पक्ष में जाना आसान नहीं है.

इसराइल और हमास की जंग के कारण सऊदी अरब और भारत के संबंधों में जटिलता आना लाजिमी है. ऐसे वक़्त में पीएम मोदी ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस से बात की है. सऊदी अरब की क़रीबी पाकिस्तान से भी रही है और इससे भी भारत से सऊदी के संबंध प्रभावित होते रहे हैं.

सऊदी अरब की ख़ुफ़िया एजेंसी के पूर्व प्रमुख प्रिंस तुर्की बिन सुल्तान ने एक बार कहा था, ”पूरी दुनिया में पाकिस्तान और सऊदी का संबंध संभवतः सबसे क़रीबी का है.”

पाकिस्तान की आलोचना करने वाले अक्सर यह बात कहते हैं कि सऊदी अरब के पैसे का पाकिस्तान की राजनीति और समाज पर बहुत गहरा असर पड़ा है.

कहा जाता है कि सऊदी अरब ने वहाबी रूढ़िवाद की जड़ें पाकिस्तानी मदरसों के ज़रिए बहुत मज़बूत की हैं.

पाकिस्तान के पॉलिटकल इस्लाम के उभार में भी सऊदी अरब की अहम भूमिका मानी जाती है.

1960 के दशक में पाकिस्तान ने अरब के कई देशों के सैनिकों की ट्रेनिंग में मदद की थी.

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति ज़िया-उल-हक़ ने तो जॉर्डन में सैनिकों की एक यूनिट का कमांड किया था. ज़िया उल हक़ 1967 में जॉर्डन गए थे और वहाँ तीन साल रहे थे.

अरब सागर में ड्रोन हमला

19 दिसंबर को सऊदी अरब से चले ‘चेम प्लूटो’ नाम के जहाज को 23 दिसंबर को गुजरात के पास अरब सागर में निशाना बनाया गया था. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अरब सागर और लाल सागर में जहाजों पर हुए हमले को लेकर प्रतिक्रिया दी थी.

उन्होंने कहा, “अरब सागर और लाल सागर में, हाल में हुए हमलों को भारत सरकार ने बहुत गंभीरता से लिया है. हमें अपने ‘लहरों के पहरेदारों’ की क़ाबिलियत और ताक़त पर पूरा भरोसा है. भारतीय नौसेना ने समंदर की निगरानी बढ़ा दी है, जिन्होंने भी इस हमले को अंजाम दिया है, उन्हें हम सागर तल से खोज निकालेंगे और उनके ख़िलाफ़ कठोर कार्रवाई की जाएगी. “

इस बीच भारतीय नौसेना ने व्यापारिक जहाजों पर हमलों की घटनाओं के बाद अरब सागर के विभिन्न क्षेत्रों में आईएनएस मोर्मुगाओ, आईएनएस कोच्चि और आईएनएस कोलकाता नाम के गाइडेड मिसाइल विध्वंसक तैनात कर दिए हैं.

इससे पहले लाल सागर में अफ्रीकी देश गैबॉन का झंडा लगाकर जा रहे जहाज पर हमला हुआ था. इस पर तेल लदा था.

एम साई बाबा नाम का ये जहाज भारत की ओर आ रहा था और इसमें चालक दल के 25 सदस्य सवार थे. सभी भारतीय थे.

हालांकि, अब तक किसी भी समूह ने ज़िम्मेदारी नहीं ली है लेकिन अमेरिका ने इसके लिए ईरान को ज़िम्मेदार ठहाराया है. हाल में ऐसा पहली बार हुआ है, जब लाल सागर से बाहर किसी जहाज को निशाना बनाया गया है.

अमेरिकी रक्षा विभाग ने इस बारे में कहा था कि चेम प्लूटो नाम के इस केमिकल टैंकर को ईरान से छोड़े गए ड्रोन ने एकतरफ़ा निशाना बनाया था.

अब तक हूती विद्रोहियों ने क़रीब 100 ड्रोन और मिसाइल हमले किए हैं, जिससे क़रीब 10 जहाज़ प्रभावित हुए हैं. यमन के ईरान समर्थित हूती विद्रोहिंयों ने कहा है कि जब तक इसराइल ग़ज़ा में युद्ध विराम नहीं करेगा, वो लाल सागर में जहाजों को निशाना बनाकर समुद्री यातायात को प्रभावित करते रहेंगे. वहीं, इन हमलों में ईरान का ज़िक्र होने पर ईरान से भी प्रतिक्रिया आई है.

ईरान इन आरोपों से इनकार करता है. ईरान का कहना है कि क्षेत्रीय सुरक्षा उसकी शीर्ष प्राथमिकता में है.

इसराइल और हमास के बीच चल रहे युद्ध में अब तक ग़ज़ा में 20 हजार से ज़्यादा लोगों की मौत हुई.

इंडियन मेरीटाइम फ़ाउंडेशन के एजे सिंह ने अरब सागर में चेम प्लूटो को निशाना बनाए जाने पर सीएनबीसी में एक प्रोग्राम के दौरान कहा, “ये बहुत गंभीर है, भारतीय नौसेना और भारत को इसे गंभीरता से लेना पड़ेगा. अभी ये ड्रोन कहाँ से छोड़ा गया, इसके बारे में सटीक जानकारी नहीं है.”

एजे सिंह ने कहा, ”नौसेना ने इनका मुक़ाबला करने के लिए ड्रोन को निशाना बनाने वाली तीन मिसाइल और युद्धपोत तैनात किए हैं. ये पर्याप्त हैं. हमें इस पर गहन निगरानी रखने की ज़रूरत है क्योंकि अगर हम ऐसा नहीं कर पाए तो जैसा कि आपको पता है कि समुद्र में तेज़ी से घटनाक्रम बदलते हैं और अगर आप कार्रवाई नहीं करते हैं तो ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं कि आप पीछे छूट जाते हैं.”

”भारत के लिए स्थिति और गंभीर है क्योंकि 90 फ़ीसदी कारोबार और 80 फ़ीसदी तेल और गैस समुद्र के रास्ते ट्रांसपोर्ट होते हैं और इनमें से बड़ा हिस्सा पश्चिम एशिया से आता है. “

पश्चिम के कई देशों में भारत के राजदूत रहे केसी सिंह ने इसी शो के दौरान कहा, “अरब सागर में हमला और लाल सागर में हमले में फ़र्क है. वहां हूतियों ने हमले की ज़िम्मेदारी ली है. इसके बारे में कोई छुपी हुई बात नहीं है. उन्होंने कहा था कि वो (हूती) इसराइल से ताल्लुक रखने वाले किसी भी जहाज पर हमले करेंगे.”

”लेकिन उनके लिए इतना सटीक जानकारी हासिल करना मुश्किल है कि किस जहाज का किस देश और किस कंपनी से संबंध है. उन्होंने नॉर्वेजियन जहाज़ पर हमला किया जिसका इसराइल से ताल्लुक नहीं था. लेकिन इसके अलावा भी उन्होंने एक बात कही कि जब तक इसराइल-ग़ज़ा युद्ध में संघर्षविराम नहीं होता है वो लाल सागर में समुद्री यातायात को नुकसान पहुंचाएंगे.”

उन्होंने कहा, “अमेरिका ने इन हमलों के ख़िलाफ़ लाल सागर में कई देशों को जुटाने की कोशिश की लेकिन कई देश इस मुहिम में शामिल नहीं हुए. फ़्रांस नहीं शामिल हुआ, इटली नहीं शामिल हुआ. सऊदी और यूएई ने युद्ध और वर्षों की बातचीत के बाद हूतियों के साथ कुछ महीने पहले ही संघर्षविराम किया है. और इस बात में भी कुछ तर्क नहीं है कि ईरान सीधे तौर पर ड्रोन हमला करेगा.”

Share News Now

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!