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एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में मैं सभी महानुभावों का अभिनंदन करता हूं। इस समित में आप लोग अलग-अलग विषयों पर चर्चा कर रहे हैं…अलग-अलग सेक्टर से जुड़े वैश्विक उद्योगपति भी अपनी-अपनी बात कहते हैं। 

हम 4-5 साल के कालखंड को देखते हैं…तो ज्यादातर चर्चाओं में एक बात राष्ट्रमंडल रही है…और वो बात है…चिंता…भविष्य को लेकर चिंता…कोरोना के समय चिंता जारी है कि वैश्विक पेंडिक से कैसे जुड़ें…कोविड बढ़ा तो दुनिया भर की अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता होने लगी…कोरोना ने चिंता पर चिंता जताई…बेरोजगारी पर चिंता बढ़ी…क्लिनिकल एक्सचेंज लेकर को चिंता तो थी ही…फिर जो युद्ध शुरू हुआ, उनकी वजह से चर्चाओं में चिंता और बढ़ गई…ग्लोबल ऑक्सफोर्ड चेन टूटने की चिंता…निर्दोष लोगों की जान जाने की चिंता…ये तनाव, ये चिंताएं, ये तकरार, ये मासूमियतें और बढ़ती गईं सेमीनायर्स का विषय बन गया। और आज जब चर्चा का केंद्र चिंता है, तब भारत में किस तरह का विचार हो रहा है…? कितना बड़ा कंट्राडिक्शन है। यहां चर्चा हो रही है ‘द इंडियन सेंचुरी’…भारत की सदी, दुनिया में मच्छी उछाले-बिस्तर के बीच, भारत उम्मीद की एक किरण बनी है…जब दुनिया चिंता में डूबी है, तब भारत आशा का संसार हो रहा है। ऐसा नहीं है कि ग्लोबल सिचुएशंस से हमें फर्क नहीं पड़ता…हमें फर्क पड़ता है…चुनौटियां भारत के सामने भी हैं…लेकिन यहां एक सेंस ऑफ फाइनैंस है, जिसमें हम सब फील कर रहे हैं। और इसलिए…द इंडियन सेंचुरी की बात हो रही है। 

आज भारत में हर सेक्टर में जिस तेजी से काम हो रहा है, वो अप्रभावी है। भारत की स्पीड, भारत की स्कैन, एक्सप्रेसडेंटेड है। अभी हमारी सरकार के परमाणु ऊर्जा संयंत्र के करीब एक पच्चीस दिन पूरे हो गए हैं। मैं आपके साथ एक पच्चीस दिन का अनुभव साझा करुंगा। एक पच्चीस दिन में गरीबों के लिए 3 करोड़ नए पक्के घरों को मंजूरी मिल गई। एक पच्चीस दिन में हमने 9 लाख करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है। एक पच्चीस दिनों में हमने 15 नई वंदेभारत ट्रेनें चलाई हैं, 8 नए एयरपोर्ट का काम शुरू किया है। एक पच्चीस दिन में हमने बच्चों के लिए 2 लाख करोड़ रुपये का पैकेज दिया है… हमने किसानों के बैंक खातों में 21 हजार करोड़ रुपये सीधे तौर पर रखे हैं… घर में 70 साल से ज्यादा के लिए 5 लाख रुपये तक के निःशुल्क इलाज की व्यवस्था है। आप भारत में हो रहे काम का नमूना देखिए…एक पच्चीस दिन में 5 लाख घरों में रूफटॉप सोलर प्लांट लगाए गए हैं। एक पेड़ माँ के नाम अभियान के तहत 90 करोड़ से अधिक पेड़ लगाए गए हैं। इतना ही नहीं…वन ट्वेंटी फाइव डेज़ में हमने 12 नए औद्योगिक स्टूडियो को मंजूरी दे दी है। वन ट्वेंटी फाइव डेज़ में हमारे प्लांट्स और कॉमर्स में 6 से 7 प्रतिशत की बिक्री हुई है। हमारा फॉरेक्स, 650 डॉलर से लेकर 700 डॉलर के पार कर चुकाया गया है। भारत की अप्लाई की ये लिस्ट बहुत पुरानी है। और मैं सिर्फ वन ट्वेंटी फाइव डेज की ही बात कर रहा हूं। ये बात भी नोट करनी होगी कि इन वन ट्वेंटी फाइव डेज़ इन वर्ल्ड…भारत में आप किन विषयों पर चर्चा कर रहे हैं? एक पच्चीस दिन में भारत में कौन से वैश्विक आयोजन हुए? भारत में टेलीकॉम और डिजिटल फ्यूचर पर इंटरनेशनल असेंबली के लिए चर्चा हुई…भारत में ग्लोबल फिनटेक फेस्टिवल हुआ…भारत में ग्लोबल सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम पर चर्चा हुई…रिन्युएबल ऊर्जा और सिविल एविएशन के फ्यूचर की इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस भारत में उभरी ।। 

दोस्त, 

ये सिर्फ इवेंट्स की लिस्ट नहीं है। ये भारत से जुड़ी उम्मीद की भी लिस्ट है। ये भारत की दिशा और दुनिया की आशा, ये दोनों समझते हैं। ये वो विषय हैं, जो आने वाले समय में दुनिया का भविष्य तय करेंगे…और इन विषयों की चर्चा के लिए…आज दुनिया आ रही है। 

आज भारत में इतना कुछ हो रहा है…हमारे तीसरे टर्म में जो स्पीड भारत ने पकड़ बनाई है…उसे देखकर बहुत सी रेटिंग एजेंसी ने भारत के विकास का पूर्वानुमान लगाया और बढ़ाया है। यहां जो भारत को सबसे ज्यादा प्यार करते हैं ऐसे श्रीमान मार्क मोबियस जैसे पारखी वैज्ञानिक यहां मौजूद हैं…वो जिस तरह से भारत में होने वाले जांच-पड़ताल लेकर आते हैं, उनका बहुत महत्व है। जब अपने वो ग्लोबल फंड कहते हैं कि कम से कम फिफ्टी परसेंट फंड, भारत के शेयर बाजार में निवेश करें…तो इसका एक बड़ा मतलब है, बहुत बड़ा संदेश है। 

भारत आज एक उन्नत देश भी है और उभरती हुई शक्ति भी है। हम गरीबी की मूल बातें और प्रगति का रास्ता बनाना भी जानते हैं। हमारी सरकार तेजी से इंटरनेट बना रही है, निर्णय ले रही है…कोई सुधार नहीं कर रही है। हालांकि पब्लिक लाइफ में कई बार मुझे भाई-बहन के लोग मिल जाते हैं…कुछ लोग कहते हैं, मोदी जी तीन बार की सरकार तो बना ली…इतने सारे काम तो कर ही के लिए…फिर इतनी तेजी-धूप क्यों रहो, क्या चाहिए? दुनिया की 5वीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई…इतने मील-पत्थर हैं…इतने लंबित रोग आपने ले लिए…इतने सारे सुधार कर लिए…अब क्या बर्बाद है इतनी मेहनत की? ऐसा देखने वाले मुझे यहां सारे लोग मिलते हैं। लेकिन जो सपना हम देखते हैं, जो संकल्प लेकर हम चलते हैं, जिसमें ना चैन है, ना आराम है। 

पिछले 10 वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं…क्या इतना ही काफी है…नहीं है क्या? पिछले 10 सालों में करीब 12 करोड़ शौचालय बने हैं…16 करोड़ लोगों को गैस कनेक्शन मिले हैं…क्या इतना ही नहीं है। पिछले 10 सालों में भारत में 350 से ज्यादा मेडिकल कॉलेज बने हैं…15 से ज्यादा एम्स बने हैं…क्या इतना ही काफी नहीं है। पिछले 10 सालों में भारत में लाखों लाख से ज्यादा नए स्टार्टअप्स बने हैं…8 करोड़ बच्चों ने करेंसी लोन लेकर पहली बार अपना कुछ काम शुरू किया है। और सवाल है भूख क्या है? क्या काफी नहीं है, मेरा जवाब है…नहीं, इतना पूरा नहीं है। आज भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है। इस युवा देश का पोटेंशियल…हमें स्काईवॉक पर पहुंचा दिया जा सकता है। और इसके लिए हमारे लिए अभी बहुत कुछ करना है…बहुत तेजी से करना है।

आज भारत की सोच और दृष्टिकोण में जो बदलाव आया है, उसे आप भी जरूर नोटिस कर रहे होंगे। आमतौर पर परंपरा रही है और स्वभाविक है, गलत है मैं मानक नहीं हूं। हर सरकार पिछलग्गू के काम से तुलना करती है। और वो एक जानवर है जो पहले क्या था, अब क्या हुआ, पहले कितना था, अब कितना हुआ। और इससे पहले संतोष ने भी कहा था कि पिछली सरकार से हमने बेहतर किया है। ज्यादा से ज्यादा, पिछले 10-15 साल से तुलना की जाती है…कि तब और अब में क्या अंतर आया, नामांकित अपनी ही उपलब्धि मान ली गई हैं। हम भी कभी इस रास्ते पर चले थे, बहुत स्वभाविक थे। लेकिन अब हमसे वो भी रास नहीं आ रहा है। अब हम देखे गए कल और आज की तुलना करके आराम से चलने वाले लोग नहीं हैं। अब सफलता का मानक सिर्फ ये नहीं है कि हमने क्या पाया…अब हमारे आगे का लक्ष्य है, हमें जगह है। हम उसे ओर देख रहे हैं। अब तक कहां तक, बाकी कहां है, कब तक…यानि एक नया अप्रोच लेकर के मैं पूरी तरह से सरकारी वैज्ञानिकों के साथ काम ले रहा हूं। 

अब भारत दूरदर्शी सोच के साथ आगे बढ़ रहा है। 2047 तक विकसित भारत का संकल्प भी यही सोचता है…अब हम देखते हैं कि विकसित भारत का जो हमारा संकल्प है, उसकी सिद्धि के लिए हम यहीं तक पहुंच गए हैं। हमें और बताएं। हमें किस स्पीड और स्कैंडल का परिश्रम करना है। और ऐसा नहीं है कि ये सरकार ने तय कर दिया और समर्थक सेट हो गए… विकासशील भारत के संकल्प से आज भारत के 140 करोड़ लोग जुड़े हैं, वो खुद इसे ड्राइव कर रहे हैं। ये जन-भागीदारी का अभियान ही नहीं, बल्कि भारत के हितों का आंदोलन भी बन गया है। एकजुट होगी…जब सरकार ने विकसित भारत के विजन डॉक्यूमेंट पर काम करना शुरू किया तो लाखों लोगों ने आपको अपनी सलाह भेजी। स्कूल-कॉलेज-यूनिवर्सिटी में मधुमेह हो गया, डिस्कशन हो गया…सरकारी और सामाजिक छात्रों ने मधुमेह पैदा कर दिया। जनता से जो सुझाव मिले, उनके आधार पर भारत ने अगले 25 साल का लक्ष्य तय किया। विकसित भारत डिस्कशन आज हमारी चेतना का, हमारे चैतन्य का हिस्सा बन चुका है। मैं प्रकाशित हूं ये जनशक्ति से राष्ट्रशक्ति के निर्माण का सबसे बड़ा उदाहरण है।

आज भारत के पास एक और एडवांटेज है, जो इस सदी को भारत की सदी बनाना बहुत महत्वपूर्ण है। आप सभी जानते हैं कि ये AI का दौर है। दुनिया का वर्तमान और भविष्य, AI से मिला हुआ है। लेकिन भारत के पास डबल एआई पावर का एडवांटेज है। अब आपके मन में सवाल होगा कि दुनिया के पास एक ही एआई है, ये मोदी के पास डबल एआई कहा गया है। दुनिया की नजरों में एक ही एआई है वो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, लेकिन हमारे पास वो तो है ही, दूसरी एआई है एस्पिरेशनल इंडिया। जब एस्पिरेशनल इंडिया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की यात्रा होती है, तब विकास की गति भी तेज़-स्वभाव वाली होती है।

हमारे लिए AI सिर्फ एक टेक्नोलॉजी नहीं है, बल्कि ये भारत के युवाओं के लिए अवसरों का एक नया द्वार है। इसी साल भारत ने इंडिया एआई मिशन की शुरुआत की है। बिजनेस हो…एजुकेशन हो…स्टार्ट अप्स हो…भारत हर सेक्टर में AI का उपयोग बढ़ रहा है। हम दुनिया में और भी बेहतर AI समाधान पेश कर रहे हैं। भारत ने भी औद्योगिक स्तर पर कई पहल की हैं। भारत, दूसरा एआई…यानि आकांक्षी भारत को लेकर भी महत्व ही गंभीर है। भारत का मध्य वर्ग…भारत के सामान्य वर्ग…उनकी जीवन जीने में आसानी…उनकी जीवन की गुणवत्ता…भारत के छोटे आदर्श…एमएसएमई के…भारत के युवा…भारत की महिलाएं…हमारा सामान्य आकांक्षाओं पर ध्यान में रखे हुए संगीत बना रहे हैं…निर्णय ले रहे हैं।

एस्पिरेशनल इंडिया का एक उदाहरण…भारत में ऑटोमोबाइल लेकर शानदार काम हो रहा है। हमने फास्ट फिज़िकल इंजीनियरिंग और इनक्लूसिव आर्किटेक्चर पर बहुत फोकस किया है। ये विकास की आकांक्षा बनाए रखने वाले समाज के लिए बहुत खोज होती है। भारत के लिए तो ये और भी ज्यादा जानना है। इतना बड़ा देश, इतनी विविधतापूर्ण भूगोल, भारत की विशेषताओं को सही अर्थ में समझने के लिए तेजी से कनेक्ट करना आवश्यक था। इसलिए हमने हवाई-यात्रा पर भी विशेष ध्यान केंद्रित किया। मुझे याद है कि जब मैंने पहली बार कहा था कि मैं हवाई जहाज़ चालकों के साथ हवाई यात्रा करना चाहता हूँ…तो एक स्वाभाविक सा स्वभाव था, कि यह भारत में कितना संभव है। लेकिन हम आगे बढ़े और उड़ान योजना शुरू की। आज की उड़ान को 8 साल पूरे हो गए हैं। उड़ान के तहत हमने दो पायलटों पर काम किया। एक टीयर-2, टीयर-3 शहरों में एयपोर्ट्स का नया नेटवर्क बनाया गया। और सेकंडरी एयर रिटेलर को किफायती बनाया गया, आलमारी रीच में शामिल किया गया। उड़ान योजना के तहत करीब 3 लाख उड़ानें भरी गई हैं…इनमें करोड़ों करोड़ आम नागरिक यात्रा कर चुके हैं। आज 600 से अधिक रूट, उड़ान के तहत और इनमें से ज्यादातर छोटे शहरों को जोड़ा जाता है। 2014 में देश में 70 के आसपास एयरपोर्ट थे। आज देश में एयरपोर्ट्स की संख्या 150 को पार कर गई है। फ़्लाइट योजना में दिखाया गया है कि समाज की आकांक्षाओं के विकास को कैसे गति दी जाती है।

मैं आपको युवाओं से जुड़े कुछ उदाहरण देता हूं। हम भारत के युवाओं को एक ऐसी फोर्स बनाते हैं, जो पूरी दुनिया की ग्रोथ को ड्राइव कर सके। और इसलिए, एजुकेशन, प्लांट डेवलपमेंट, रिसर्च…नियोजन पर हमारा बहुत जोर है। पिछले 10 सालों में इन इलाकों में जो काम हुए हैं, नतीजे उनके मिलने लगे हैं। अभी कुछ दिन पहले ही टाइम्स हायर एजुकेशन रैंकिंग आई है…भारत दुनिया का वो देश है जहां गुणवत्ता के मामले में सबसे ज्यादा सुधार हुआ है। डेज़ 8-9 सागर में भारत की यूनिवर्सिटीज़ का पार्टिसिपेशन, 30 से अधिक 100 से अधिक हो गया है। QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में भी भारत की मौजूदगी, 10 साल में 300 फीसदी से ज्यादा बढ़ी है। आज पेटेंट और ट्रेडमार्क की संख्या, सर्वकालिक उच्च पहुंच रही है। आज भारत दुनिया के लिए R&D का एक बड़ा हब बन रहा है। दुनिया के करीबी सहयोगी कंपनियों के रिसर्च सेंटर भारत में हैं। भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम भी, उसका भी अभूतपूर्व विस्तार हो रहा है।

भारत में हो रहे ये चतुर्फा देश दुनिया के लिए भी विश्वास का आधार बन रहे हैं। आज बहुत से विषयों में भारत, वैश्विक भविष्य को दिशा दी जा रही है। दुनिया को लगता है कि भारत संकट के समय का साथी है। आपको कोविड का वो दौर याद है…जरूरी दवाओं की, बच्चों की वैक्सीन की हमारी जो कैपेसिटी थी, उससे हम भी करोड़ों डॉलर कमा सकते थे। भारत को फ़ायदा होता है लेकिन इंसान को नुकसान होता है। ये हमारे संस्कार नहीं हैं। हमने विश्व के संपूर्ण राष्ट्रों को संकट के समय दवाई पहुंचाईं, जीवन रक्षक वैक्सीन लगाईं। मुझे संतोष है कि कठिन समय में भारत-दुनिया के लिए काम मिला।

भारत टेकन फॉर ग्रांटेड चुपियाद-विश्वास और विश्वसनीयता के आधार पर है। और ये बात दुनिया भी समझ रही है। भारत एक ऐसा देश है, प्रगति से दुनिया में आनंद का भाव आता है। भारत सफल होता है, विश्व को अच्छा लगता है। अब चंद्रयान का उत्सव देखिए, पूरी दुनिया ने इसे एक उत्सव के रूप में मनाया। भारत आगे बढ़ता है तो, जलन का, प्यास का भाव पैदा नहीं होता। हमारी प्रगति से दुनिया खुश है। क्योंकि भारत की प्रगति से पूरी दुनिया को फायदा होगा। हम सब जानते हैं कि कैसे अतीत में भारत में वैश्विक बिक्री को बढ़ाने वाली एक परीक्षण शक्ति थी। भारत के विचार कैसे, भारत के नवाचार, भारत के उत्पादों ने दुनिया पर अपना प्रभाव छोड़ा। लेकिन समय परिवर्तन के बाद भारत ने गुलामी का विशाल कालखंड देखा और हम पिछड़े चले गये। औद्योगिक क्रांति के समय भी भारत दास था। गुलामी के कारण हम औद्योगिक क्रांतियों का फ़ायदा नहीं उठाते। वो समय भारत के हाथ से निकल गया…लेकिन अब ये भारत का समय है। ये इंडस्ट्री 4.O का दौर है। भारत अब गुलाम नहीं है, हमें आजाद हुए 75 साल हो गए हैं। और इसलिए अब हम कमर कस कर तैयार हैं।

दोस्त,

संस्थान 4.O के लिए जो कोचिंग सेट चाहिए, जो आर्किटेक्चर चाहिए, उस पर भारत बहुत तेजी से काम कर रहा है। दशक के दौरान मुझे किस तरह से ग्लोबल्स से जुड़ने का अवसर मिला। मैं जी-20 और जी-7 के सम्मेलनों में भाग ले रहा हूं। 10 दिन पहले ही मैं एशियाई समिति के लिए लाओस में था… आपको यह जानकर अच्छा लगा कि लगभग हर समिति में भारत के डिजिटल सार्वजनिक आलेख की बहुत अधिक चर्चा होती है। आज पूरी दुनिया की नजर भारत के डीपीआई पर है। यहां हमारे मित्र, भारत के प्रशंसक श्रीमान पॉल रोमर बैठे हैं। सबसे पहले मुझे भी अपने काफी विचार, विस्तार से चर्चा करने का मौका मिला है, मैंने अपनी बहुत सारी चर्चाएं की हैं। मैं अमेरिका में भी मिला। हमारी चर्चा के दौरान पॉल ने भारत के डिजिटल ग्राफिक्स की, आधार और डिजीलॉकर जैसे इनोवेशन की बहुत सराहना की। बड़ी-बड़ी कंपनियों में इसी तरह के लोग शामिल हैं कि भारत ने इतनी शानदार डीपीआई कैसे विकसित की?

दोस्त,

इंटरनेट के दौर में भारत के पास फर्स्ट मूवर का एडवांटेज नहीं था। जिन स्टेट के पास ये एडवांटेज था, वहां प्राइवेट प्लेटफॉर्म्स ने, प्राइवेट इनोवेशन्स ने, डिजिटल स्पेस का नेतृत्व किया। यह निश्चित रूप से दुनिया में एक नई क्रांति के रूप में है। लेकिन उसका लाभ सीमित ही था। जबकि भारत ने एक नया मॉडल दुनिया को दिया है। भारत ने टेक्नोलॉजी डेमोक्रेसी द्वारा डिजिटल पब्लिक पिक्चर्स का नया वेथ वर्ल्ड को प्रदर्शित किया है। आज भारत में सरकार एक मंच पर कायम है और उस पर लाखों नए आविष्कार हो रहे हैं। हमारा जनधन आधार और मोबाइल का JAM डायनामिक, तेज और लीकेज मुक्त सेवाओं वाला एक बेहतरीन सिस्टम बन गया है। आप हमारा यूपीआई देखें…इस पर फिनटेक का एक नया विस्तार भारत में हुआ है। UPI के कारण, आज हर दिन 500 मिलियन से अधिक डिजिटल ट्रांजेक्शन हो रहे हैं। और प्रतिबंधित ड्राइव करने वाले कोई क्रैटिक्स नहीं हैं, बल्कि छोटे हमारे व्यापारी हैं, स्ट्रीट वेंडर्स हैं। हमारा स्पीड शक्ति प्लेटफ़ॉर्म एक और उदाहरण है। इम्पैक्ट स्पीड शक्ति को वेबसाइट के निर्माण में जो साइलो शामिल थे, उन्हें शामिल करने के लिए वेबसाइट को वेबसाइट पर भेजा गया था। आज ये हमारे लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम को ट्रांसफॉर्म करने में मदद कर रहा है। ऐसा ही हमारा ONDC प्लेटफॉर्म है। ये ऑफ़लाइन स्ट्रैटेजी को मैक्सिमम डेमोक्रिटाइज़ेशन, मेन ट्रांसपेरेंट करने वाला इनोवेशन सिद्ध हो रहा है। भारत ने दिखाया है कि डिजिटल नवाचार और लोकतांत्रिक मूल्य, सह-अस्तित्व में हो सकते हैं। भारत ने दिखाया है कि प्रौद्योगिकी, समावेशन, पारदर्शिता औऱ सशक्तिकरण का उपकरण है, नियंत्रण औऱ प्रभाग का नहीं।  

21वीं सदी का ये समय, ये मानव इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण समय है। आज के युग की ज़रूरतें हैं…स्थिरता, स्थायित्व और समाधान…ये मानवता के बेहतर भविष्य के लिए सबसे ज़रूरी चीज़ें हैं। और भारत आज यही प्रयास कर रहा है। भारत की जनता का एकनिष्ठ समर्थन है। 6 दशक में पहली बार, देश के लोगों ने लगातार तीसरी बार किसी सरकार को अपना दर्जा दिया। ये संदेश स्थिरता का है। अभी हरियाणा में चुनाव हुए हैं। चुनाव में भी भारत की जनता ने स्थिरता के इस भाव को और मानकता दी है।

जलवायु परिवर्तन का संकट, आज संपूर्ण मानवता का संकट बन गया है। इसमें भी भारत लीड लेने की कोशिश कर रही है। वैश्विक क्लाइमेट परिवर्तन में हमारा सीमेंटब्यूशन न के बराबर है। फिर भी मेड इंडिया में हमने ग्रीन ट्रांज़िशन को अपनी बिक्री का फ़्यूल दिया है। आज स्थिरता, हमारी विकास योजना के मूल में है। आप हमारे सनराइजर्स होम फ्री बिजली योजना को देखें…खेतों में सौर ऊर्जा संयंत्रों के कनेक्शन को देखें…हमारा ईवी क्रांति हो, या इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम हो…बर्बर-बैटरी पवन ऊर्जा फार्म हों, या एलईडी लाइट आंदोलन हो…सौर ऊर्जा संचालित हवाई अड्डों या बायोगैस संयंत्रों पर फोकस हो….आप हमारा कोई भी प्रोग्राम, कोई भी स्कीम देखें….सभी में ग्रीन फ्यूचर को, लेकर ग्रीन जॉब्स को लेकर एक मजबूत प्रतिबद्धता ही रहेगी ।।

स्थिरता और स्थिरता के साथ-साथ भारत आज समाधान पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। दशकों में भारत ने ऐसे कई समाधानों पर काम किया है, जो वैश्विक चुनौतियों से शुरू होने की राह पर हैं। इंटरनेशनल सूर्या अलायंस हो…आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन हो…इंडिया मिडिल ईस्ट इकोनॉमिक ग्लोरीज़ हो…ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस हो…योग हो…आयुर्वेद हो…मिशन मिशन हो, मिशन मिलता हो। ..भारत की ओर से सभी पहल के लिए दिए गए विश्व के उद्घाटन के समाधान वाले हैं।

मुझे खुशी है कि भारत की मजबूत स्थिति दुनिया की बेहतरी सुनिश्चित हो रही है। भारत आगे बढ़ेगा, दुनिया को सबसे ज्यादा फायदा होगा। हमारा प्रयास होगा..भारत की सेंचुरी सिर्फ भारत की नहीं बल्कि पूरी मानवता की जीत की सेंचुरी बने। एक सदी ऐसी, जो सभी की प्रतिभा से आगे बढ़े, एक ऐसी सदी, जो सभी के नवाचारों से समृद्ध हो, एक ऐसी सदी, जहां गरीबी न हो, एक ऐसी सदी, जहां सबके पास आगे विकास के अवसर हों, एक ऐसी सदी, जिसमें भारत के लक्ष्य से विश्व में स्थिरता आये और विश्व शांति आये। इसी भाव के साथ, मुझे यहां मंत्रित करने के लिए, अवसर देने के लिए मैं एनडीटीवी का फिर से सहयोगी संवाद करता हूं। और ये समित सफल हो इसके लिए मेरी तरफ से आपको ढेर सारी शुभकामनाएं हैं।

 बहुत-बहुत धन्यवाद।

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