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वरुण गांधी को पीलीभीत से टिकट ना मिलने पर मां मेनका बोलीं- उसे वहां से होना चाहिए था

पीलीभीत से वरुण गांधी को बीजेपी ने इस बार टिकट नहीं दिया है। बीजेपी की तरफ से इस बार जितिन प्रसाद चुनाव लड़ रहे हैं। पीएम मोदी के पीलीभीत में भाषण के दौरान वरुण नहीं नजर आए थे।

नई दिल्ली: वरुण गांधी को पीलीभीत से टिकट नहीं दिए जाने पर मां मेनका गांधी का बयान सामने आया है। मेनका गांधी ने कहा, ‘वहां से वरुण को होना चाहिए था लेकिन पार्टी ने फैसला कर लिया है, बस इतनी सी बात है।’

इससे पहले मेनका गांधी ने कहा था कि वह तो इस बात से बहुत खुश हैं कि वह बीजेपी में हैं। इसके लिए मेनका ने पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को धन्यवाद भी दिया था। ‘वरुण गांधी अब क्या करेंगे?’ इस सवाल के जवाब में मेनका ने कहा कि ये तो उनसे पूछें कि वह क्या करना चाहते हैं। हम चुनाव के बाद इस पर विचार करेंगे। अभी समय है।

उन्होंने कहा था कि पार्टी ने अब जो फैसला लिया है, उसके लिए मैं आभारी हूं। मैं बहुत खुश हूं कि मैं सुल्तानपुर वापस आई क्योंकि इस जगह का एक इतिहास है कि सुल्तानपुर में कोई भी सांसद दोबारा सत्ता में नहीं आया। टिकट मिलने के बाद यह उनका सुल्तानपुर का पहला दौरा था।

पीएम मोदी के पीलीभीत में भाषण के दौरान वरुण नहीं आए थे नजर

हालही में पीएम मोदी ने पीलीभीत में जनसभा को संबोधित किया था। इस दौरान वरुण गांधी नजर नहीं आए थे। पीएम मोदी ने कांग्रेस पर भगवान राम का अपमान करने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को कहा था कि यह पार्टी तुष्टीकरण के दलदल में इतना डूब गई है कि उससे कभी बाहर नहीं निकल सकती। मोदी ने पीलीभीत में आयोजित चुनावी रैली में कांग्रेस और इंडी गठबंधन पर तीखे प्रहार किये थे। उन्होंने कहा था, ‘सपा और कांग्रेस के इंडी गठबंधन को भारत की विरासत की परवाह ही नहीं है।’

वरुण ने लिखा था इमोशनल संदेश

दरअसल बीजेपी ने इस बार पीलीभीत से वरुण गांधी को टिकट नहीं दिया है। बीजेपी ने पीलीभीत से मौजूदा सांसद वरुण गांधी के बजाए जितिन प्रसाद को टिकट दिया है। हालही में वरुण गांधी ने पीलीभीत की जनता के नाम एक भावुक संदेश लिखा था। उन्होंने कहा था कि आपका प्रतिनिधि होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है और मैंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से आपके हितों के लिए आवाज उठाई है।

वरुण गांधी ने अपने पत्र में कहा था कि अनगिनत यादों ने मुझे भावुक कर दिया है। मुझे वो 3 साल का छोटा सा बच्चा याद आ रहा है जो अपनी मां की उंगली पकड़कर 1983 में पहली बार पीलीभीत आया था, उसे कहां पता था एक दिन यह धरती उसकी कर्मभूमि और यहां के लोग उसका परिवार बन जाएंगे। उन्होंने कहा कि एक सांसद के तौर पर मेरा कार्यकाल भले समाप्त हो रहा हो, पर पीलीभीत से मेरा रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता। (इनपुट- भाषा से भी)

 

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