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चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने 77वें सेना दिवस पर भारतीय सेना की उत्कृष्ट व्यावसायिकता और राष्ट्र निर्माण के प्रति प्रतिबद्धता की सराहना की

प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान ने 15 जनवरी, 2025 को 77 वें सेना दिवस के अवसर पर भारतीय सेना के सभी रैंकों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।  इस पवित्र अवसर पर अपने संदेश में सीडीएस ने कहा कि यह दिन अटूट समर्पण, साहस, अदम्य भावना और व्यावसायिकता का उत्सव है, जो भारतीय सेना को परिभाषित करता है, एक ऐसी संस्था जो भारत की सुरक्षा और एकता के आधार के रूप में खड़ी है।

जनरल अनिल चौहान ने कहा कि भारतीय सेना की विरासत चुनौतियों से निपटने, संप्रभुता को बनाए रखने और निस्वार्थ भाव से राष्ट्र की सेवा करने की इसकी विश्वसनीय क्षमता पर आधारित है। उन्होंने कहा, “सभी परिस्थितियों में उच्च स्तर की तत्परता बनाए रखने, परिचालन क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल करने और हमारे नागरिकों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने में भारतीय सेना के कर्मियों के अथक प्रयास सराहनीय हैं।”

युद्ध की बदलती गतिशीलता और प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग पर प्रकाश डालते हुए, सीडीएस ने कहा कि आधुनिक युद्ध तेजी से विकसित हो रहा है, जो प्रौद्योगिकी में प्रगति और भू-राजनीतिक गतिशीलता को बदलने से प्रेरित है। साइबर, अंतरिक्ष और संज्ञानात्मक क्षेत्रों सहित नए डोमेन में संघर्ष तेजी से फैल रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, “नए युग की तकनीकें और अवधारणाएँ जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा सेंट्रिक आर्किटेक्चर द्वारा संचालित ऑटोमेशन, स्टेल्थ और हाइपरसोनिक तकनीकों द्वारा समर्थित सेलेरिटी सेंट्रिक वारफेयर और ऑटोनॉमस वाहनों द्वारा संचालित रोबोटिक्स भविष्य के युद्धों को लड़ने के तरीके को बदल रहे हैं।”

जनरल अनिल चौहान ने इस बात पर जोर देते हुए कि भविष्य में कोई भी युद्ध पिछले युद्ध की तरह नहीं लड़ा जाएगा और किसी भी सेना का उद्देश्य युद्ध जीतना है, कहा कि भारतीय सेना को दुश्मनों से आगे रहने के लिए अपनी रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं को लगातार उन्नत करने और तकनीकी रूप से अनुकूलन और सुसज्जित करने की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि बेहतर सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के साथ उच्च तकनीकी कौशल वाले लोगों को सशक्त बनाना समय की मांग है।

सीडीएस ने अपने संदेश का समापन उन बहादुरों के प्रति श्रद्धांजलि और आभार व्यक्त करते हुए किया, जिन्होंने अपना कर्तव्य निभाते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया और अपने प्राणों की आहुति दे दी।

 उन्होंने कहा, “इस विशेष दिन को मनाते हुए, प्रत्येक सैनिक को सेना की गौरवशाली परंपराओं को बनाए रखने का संकल्प लेना चाहिए, साथ ही भविष्य की चुनौतियों का दृढ़ संकल्प और गर्व के साथ सामना करना चाहिए। सेना हमारी मातृभूमि को और अधिक सफलता और गौरव दिलाती रहे और राष्ट्र निर्माण में अथक योगदान देती रहे।”                                     

वीके/एसआर/आनंद

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