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सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. एन. कलैसेल्वी ने सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के नवनिर्मित तल का उद्घाटन किया और वैज्ञानिकों तथा शोधार्थियों के साथ बातचीत की

सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (एनआईएससीपीआर) ने 13 दिसंबर 2024 को नई दिल्ली में अपने परिसर में अपनी नवनिर्मित दूसरी मंजिल का उद्घाटन किया। उद्घाटन सीएसआईआर की महानिदेशक और डीएसआईआर की सचिव डॉ. (श्रीमती) एन. कलैसेल्वी, भारत सरकार द्वारा किया गया। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर में नवीकृत सुविधाएं विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान में संस्थान की क्षमताओं को और बढ़ाएंगी।

इस अवसर पर, एक वृक्षारोपण अभियान, “एक पेड़ माँ के नाम” भी चलाया गया। इस अभियान का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता को बढ़ावा देना है।

सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की निदेशक प्रो. रंजना अग्रवाल ने डॉ. कलईसेलवी और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। निदेशक ने एनआईएससीपीआर के कार्यक्रमों के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इस वर्ष सीएसआईआर के महानिदेशक का यह तीसरा दौरा था। उन्होंने संस्थान की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला, जिसमें 16 छात्रों को पीएचडी की डिग्री प्रदान करना और 50 छात्रों को विज्ञान संचार और विज्ञान प्रौद्योगिकी नवाचार नीति में प्रशिक्षण देना शामिल है। एनआईएससीपीआर भारत का एकमात्र संस्थान है जो विज्ञान संचार और विज्ञान नीति में पीएचडी प्रदान करता है।

सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. एन. कलईसेलवी ने विवेकानंद कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित एक संवाद सत्र के दौरान सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के वैज्ञानिकों और शोध विद्वानों के साथ बातचीत की। डॉ. कलईसेलवी ने बताया कि एनआईएससीपीआर भारत का नोडल संस्थान है जिसे भारतीय पत्रिकाओं के लिए आईएसएसएन नंबर दिया गया है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस पहल के बारे में अधिक लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। उन्होंने क्षेत्रीय भाषा-आधारित पत्रिकाओं के महत्व पर भी जोर दिया, जो देश की प्रगति के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि किसी भी पीएचडी थीसिस में परिचय अध्याय बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसकी समीक्षा की जानी चाहिए और समीक्षा पत्र के रूप में प्रकाशित किया जाना चाहिए। उन्होंने भारतीय पत्रिका-आधारित संचार के महत्व पर जोर दिया और विज्ञान करने के दो तरीकों पर प्रकाश डाला: भविष्य के परिणामों की भविष्यवाणी के साथ प्रयोगात्मक और सैद्धांतिक अध्ययन।

डॉ. कलईसेलवी ने इस बात पर जोर दिया कि एनआईएससीपीआर को सर्वश्रेष्ठ विज्ञान संचारक तैयार करने चाहिए, जो अपने शोध को उच्च प्रभाव वाली पत्रिकाओं में प्रकाशित कर सकें। उन्होंने सुझाव दिया कि छात्रों को अपने दस्तावेज़ीकरण कौशल को विकसित करना चाहिए और ग्राफ़िकल सार तैयार करना चाहिए। उन्होंने एक अनूठा मंच बनाने का भी प्रस्ताव रखा जो लघु वीडियो और रीलों के माध्यम से विज्ञान संचार में नवाचार को प्रदर्शित करता है। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. योगेश सुमन ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।

एनकेआर/केएस

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