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आज की संस्थागत चुनौतियां अक्सर सार्थक संवाद और प्रामाणिक अभिव्यक्ति के क्षरण से उत्पन्न होती हैं: उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज संस्थागत चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए जोर दिया कि, “आज की संस्थागत चुनौतियाँ भीतर और बाहर से अक्सर सार्थक संवाद और प्रामाणिक अभिव्यक्ति के क्षरण से उत्पन्न होती हैं। अभिव्यक्ति की अभिव्यक्ति और सार्थक संवाद दोनों ही लोकतंत्र के अनमोल रत्न हैं। अभिव्यक्ति और संचार एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों के बीच सामंजस्य ही सफलता की कुंजी है।”

किसी भी लोकतंत्र में मूल मूल्यों के महत्व को रेखांकित करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा कि, “लोकतंत्र केवल व्यवस्थाओं पर नहीं, बल्कि मूल मूल्यों पर पनपता है… इसे अभिव्यक्ति और संवाद के नाजुक संतुलन पर केंद्रित होना चाहिए। अभिव्यक्ति और संवाद, ये जुड़वां ताकतें लोकतांत्रिक जीवन शक्ति को आकार देती हैं। उनकी प्रगति को व्यक्तिगत पदों से नहीं, बल्कि व्यापक सामाजिक लाभ से मापा जाता है। भारत की लोकतांत्रिक यात्रा इस बात का उदाहरण है कि विविधता और विशाल जनसांख्यिकीय क्षमता राष्ट्रीय प्रगति को कैसे बढ़ावा दे सकती है। जैसे-जैसे हम आगे की राह तय करते हैं, हमें यह पहचानना चाहिए कि लोकतांत्रिक स्वास्थ्य और आर्थिक उत्पादकता राष्ट्रीय विकास में अविभाज्य भागीदार हैं।”

आज नई दिल्ली में आईसीडब्ल्यूए में आईपीएंडटीएएफएस के 50वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि, “हमारे अंदर अहंकार अदम्य है, हमें अपने अहंकार को नियंत्रित करने के लिए बहुत मेहनत करनी होगी। अहंकार किसी के काम नहीं आता, बल्कि सबसे ज्यादा नुकसान उस व्यक्ति को होता है जिसके पास यह होता है।”

स्व-लेखा परीक्षा की आवश्यकता पर जोर देते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि, “मित्रों, लेखा परीक्षा, स्व-लेखा परीक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। किसी व्यक्ति या संस्था के पतन का सबसे पक्का तरीका है, उसे या सज्जन या सज्जन महिला को जांच से दूर रखना। आप जांच से परे हैं, आपका पतन निश्चित है। और इसलिए, स्व-लेखा परीक्षा, स्वयं से परे लेखा परीक्षा, आवश्यक है।”

सिविल सेवकों को संबोधित करते हुए उन्होंने आगे कहा कि, “आधुनिक सिविल सेवकों को तकनीक के जानकार, बदलाव के सूत्रधार और पारंपरिक प्रशासनिक सीमाओं से परे होना चाहिए। सेवा हमारी आधारशिला बनी हुई है। प्रशासक, वित्तीय सलाहकार, विनियामक और लेखा परीक्षक के रूप में आपकी भूमिकाएँ कल की चुनौतियों का सामना करने के लिए विकसित होनी चाहिए। यह विकास मांग करता है कि हम सेवा वितरण को पारंपरिक तरीकों से बदलकर अत्याधुनिक समाधानों में बदलें।”

उन्होंने कहा, “मैं आपको बता दूं कि आप मुझसे ज़्यादा जागरूक हैं। हम एक और औद्योगिक क्रांति के मुहाने पर खड़े हैं। डिजिटल तकनीक ने हम पर आक्रमण कर दिया है। वे हमारे घर में, हमारे दफ़्तर में, हर जगह हमारे साथ हैं। वे चुनौतियाँ और अवसर दोनों पेश करते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन और इसी तरह की दूसरी तकनीकें। हम उनकी तीव्रता महसूस कर रहे हैं। हमें चुनौतियों का सामना करना होगा, चुनौतियों को अवसरों में बदलना होगा और इस देश में हर किसी के जीवन को उसकी महत्वाकांक्षाओं से सहज रूप से जोड़ना होगा। मुझे यह देखकर खुशी हुई कि अन्य सेवाएँ आपकी कार्यप्रणाली का अनुकरण कर सकती हैं। हमारी सेवाओं को और अधिक गतिशील होने की आवश्यकता है। उन्हें मूलभूत अखंडता को बनाए रखते हुए तेज़ तकनीकी चुनौतियों, सामाजिक चुनौतियों के अनुकूल होना होगा। राष्ट्र निर्माण का हमारा विशेषाधिकार अब और अधिक ज़िम्मेदारी वहन करता है क्योंकि हमें 2047 में एक विकसित राष्ट्र के सपने को साकार करने के लिए पटकथा और शिल्प भी बनाना है।”

विभागों के बीच समन्वय और तालमेल पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, “एक दूसरे से जुड़ी दुनिया में विभागों के बीच सहयोग बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। यह बहुत महत्वपूर्ण है। हमें एक दूसरे के साथ तालमेल में रहना चाहिए, हमें एक दूसरे के साथ तालमेल बिठाना चाहिए। मैंने अक्सर सभी को यह समझाया है कि शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत कुछ और नहीं बल्कि तीन संस्थाओं, न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका, को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए। उन्हें सामंजस्य के साथ काम करना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “मेरा विश्वास करें, परिवार या सिस्टम में कभी-कभी समस्याएं होंगी। समस्याएं स्वाभाविक हैं। समस्याएं हमें असफलता की तरह आगे बढ़ने में मदद करती हैं। असफलता कोई बाधा नहीं है, यह आपको अगली बार सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है।”

सिविल सेवकों से डिजिटल डिवाइड को पाटने का आग्रह करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि, “ग्रामीण प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए अभिनव वित्तपोषण मॉडल के माध्यम से डिजिटल डिवाइड को पाटने पर ध्यान केंद्रित करें। मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि यह माननीय मंत्री की प्राथमिकता है। दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी के साथ, जिसे हम जनसांख्यिकीय लाभांश कहते हैं, दुनिया में हर किसी के लिए ईर्ष्या का विषय है, भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश अभूतपूर्व अवसर प्रदान करता है। आपकी डिजिटल पहलों को कुशल विकास और डिजिटल उद्यमिता के माध्यम से इस युवा प्रतिभा पूल का दोहन करना चाहिए।”

इस अवसर पर माननीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया, डिजिटल संचार आयोग के वित्त सदस्य श्री मनीष सिन्हा और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

जेके/आरसी/एसएम

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