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केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने 21वें सीआईआई स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन 2024 को संबोधित किया

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने आज यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के 21 वें स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्रीमती पुण्य सलिला श्रीवास्तव भी मौजूद थीं। शिखर सम्मेलन का विषय है “विकसित भारत 2047 के लिए स्वास्थ्य सेवा में बदलाव”।

“भारत की मेडटेक क्रांति की रूपरेखा: 2047 तक मेडटेक विस्तार का रोडमैप” विषय पर पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि “भारत में चिकित्सा उपकरण क्षेत्र को एक उभरते हुए क्षेत्र के रूप में मान्यता प्राप्त है, क्योंकि देश की बढ़ती स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं, तकनीकी नवाचारों, सरकारी सहायता और उभरते बाजार के अवसरों द्वारा इसमें अपार विकास क्षमता है। उन्होंने बताया कि भारतीय चिकित्सा उपकरण क्षेत्र का आकार लगभग 14 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है और 2030 तक इसके 30 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंने यह भी बताया कि जापान, चीन और दक्षिण कोरिया के बाद भारत एशिया में चौथा सबसे बड़ा चिकित्सा उपकरण बाजार है और दुनिया के शीर्ष 20 वैश्विक चिकित्सा उपकरण बाजारों में से एक है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मेडटेक उद्योग सिर्फ़ स्वास्थ्य सेवा का एक घटक नहीं है, बल्कि यह एक उत्प्रेरक है जो रोगियों, भुगतानकर्ताओं, प्रदाताओं और विनियामकों को एक मजबूत और अधिक न्यायसंगत स्वास्थ्य सेवा प्रणाली बनाने के लिए जोड़ता है। उन्होंने कहा, “मेडटेक की यह अनूठी स्थिति ही भारत और विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सेवा वितरण और परिणामों में क्रांतिकारी बदलाव लाने का वादा करती है।”

स्वास्थ्य सेवा में एआई की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए श्रीमती पटेल ने कहा कि “स्वास्थ्य सेवा चुनौतियों से निपटने और उन्हें सुविधाजनक बनाने के लिए नए तरीके बनाने तथा नए अवसरों की खोज करने के लिए एआई नवाचार स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है।”

श्रीमती पटेल ने चिकित्सा उपकरण पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने, अनुसंधान को बढ़ावा देने, कौशल विकास को बढ़ाने और वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए केंद्र सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “प्रमुख नीतिगत निर्णयों में स्वचालित मार्ग के तहत 100% एफडीआई की अनुमति देना और राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति, 2023 को मंजूरी देना शामिल है, जो विनियामक सुव्यवस्थितता, बुनियादी ढांचे के विकास, अनुसंधान एवं विकास, निवेश आकर्षण और मानव संसाधन विकास को संबोधित करता है। इसमें उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना, एनआईपीईआर में पाठ्यक्रम और मेडटेक शिक्षा को मजबूत करने की पहल शामिल हैं।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने निर्यात और उद्योग सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं, जिसमें चिकित्सा उपकरणों के लिए निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएमडी) का गठन और राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण संवर्धन परिषद (एनएमडीपीसी) का पुनर्गठन शामिल है। उन्होंने कहा, “इन निकायों का उद्देश्य चिकित्सा उपकरण निर्यात को सुविधाजनक बनाना, विनियामक चुनौतियों का समाधान करना और व्यापार करने में आसानी को बढ़ाना है, जिससे वैश्विक चिकित्सा उपकरण बाजार में भारत की स्थिति को और बढ़ावा मिलेगा।”

उन्होंने 400 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ चिकित्सा उपकरण पार्कों को बढ़ावा देने की योजना के शुभारंभ के बारे में भी बताया, जिसके तहत उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश को बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 100-100 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। “इसके अलावा, फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने (पीआरआईपी) और 500 करोड़ रुपये के वित्तपोषण के साथ “चिकित्सा उपकरण उद्योग को मजबूत करने की योजना” का उद्देश्य नवाचार को बढ़ावा देना, विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाना, कौशल विकास का समर्थन करना और उद्योग के विकास को बढ़ावा देना है”। उन्होंने कहा कि ये प्रयास आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं, जो मेडटेक उद्योग में आत्मनिर्भरता, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

इस बात को रेखांकित करते हुए कि स्वस्थ जनसंख्या उत्पादकता को बढ़ाती है, आर्थिक विकास को गति देती है और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करती है, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्रीमती पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि “स्वास्थ्य सेवा केवल एक सामाजिक अनिवार्यता नहीं है, बल्कि एक आर्थिक आवश्यकता है।” उन्होंने कहा कि भारत का स्वास्थ्य सेवा एजेंडा प्रत्येक नागरिक के लिए स्वास्थ्य सेवा को सस्ती, सुलभ और समावेशी बनाने पर केंद्रित है और इस बात पर जोर दिया कि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र 2047 तक विकसित देश बनने के भारत के दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण घटक है।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि देश के जनसांख्यिकीय लाभांश का दोहन करने, नवाचार को बढ़ावा देने और सतत प्रगति सुनिश्चित करने के लिए मजबूत स्वास्थ्य सेवा और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रणालियों में निवेश आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र ने पीएम-जेएवाई, पीएम-एबीएचआईएम और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन जैसी पहलों के साथ महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिससे किफायती देखभाल तक पहुँच का विस्तार हुआ है। उन्होंने कहा, “मूल्य-आधारित देखभाल मॉडल और तकनीकी नवाचारों के माध्यम से, विशेष रूप से टियर-2 और टियर-3 शहरों में स्वास्थ्य सेवा को बदलने में निजी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी, निवारक स्वास्थ्य सेवा और स्वास्थ्य सेवा कार्यबल के विस्तार पर ध्यान केंद्रित करना सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने और भारत को वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण होगा”।

श्रीमती पुण्या श्रीवास्तव ने गणमान्य व्यक्तियों को 7 दिसंबर, 2024 को पंचकूला में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जेपी नड्डा द्वारा शुरू किए गए 100 दिवसीय गहन टीबी अभियान के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने 2025 तक टीबी को खत्म करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अभियान का समर्थन करने के महत्व पर जोर दिया और आयोजकों को इस पहल को और बढ़ावा देने के लिए अगले दो दिनों में टीबी पर एक संक्षिप्त सत्र आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित किया।

उन्होंने निजी क्षेत्र, स्वास्थ्य सेवा नेताओं और नागरिक समाज के सहयोग से भारत के स्वास्थ्य सेवा पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का आश्वासन देते हुए अपना भाषण समाप्त किया। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य 2047 तक भारत को स्वास्थ्य सेवा वितरण में वैश्विक नेता के रूप में बदलना है, जिसका लक्ष्य एक स्वस्थ, मजबूत और समृद्ध भारत बनाना है। भारत के स्वास्थ्य सेवा भविष्य को आकार देने में निजी क्षेत्र की भूमिका एक जिम्मेदारी और अवसर दोनों है। इस दृष्टिकोण को अपनाने से, प्रत्येक भारतीय को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान की जाएगी, जिससे आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।”

इस अवसर पर सीआईआई नेशनल हेल्थकेयर काउंसिल के अध्यक्ष तथा मेदांता-द मेडिसिटी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ. नरेश त्रेहान, सीआईआई के सह-अध्यक्ष तथा मणिपाल हेल्थ एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के एमडी एवं सीईओ श्री दिलीप जोस, अपोलो हॉस्पिटल ग्रुप की प्रबंध निदेशक सुश्री सुनीता रेड्डी तथा सीआईआई की उप महानिदेशक सुश्री अमिता सरकार उपस्थित थीं।

एमवी

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सीसीआई ने प्रतिस्पर्धा-विरोधी आचरण में संलिप्त होने के लिए यूएफओ मूवीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (इसकी सहायक कंपनी स्क्रैबल डिजिटल लिमिटेड के साथ) और क्यूब सिनेमा टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड पर मौद्रिक और गैर-मौद्रिक प्रतिबंध लगाए हैं।

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