ANN Hindi

ट्रम्प कैंपेन हैक मामला : क्‍या ईरान, चीन, रूस अमेरिकी चुनावों को बना रहे निशाना, यूएस ग्रैंड जूरी ने उठाया ये कदम

US President Elections : क्‍या ईरान, चीन और रूस अमेरिकी चुनावों को निशाना बना रहे हैं. पूर्व राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने कुछ ऐसी ही आशंका जताई है. इसके बाद अमेरिकी ग्रैंड जूरी ने हैकिंग और साइबर जासूसी से संबंधित आरोपों में तीन ईरानियों पर कानूनी कार्रवाई करने के आदेश दिये हैं.

वाशिंगटन:अमेरिका में ग्रैंड जूरी ने रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के इलेक्‍शन कैंपेन की हैकिंग और साइबर जासूसी से संबंधित आरोपों में तीन ईरानियों पर केस दर्ज किये गए हैं. अमेरिकी ग्रैंड जूरी ने यह कदम ईरान, चीन और रूस द्वारा अमेरिका में चुनाव में हस्तक्षेप को लेकर बढ़ती चिंताओं के मद्देनजर उठाया है. हैकर्स ने कथित तौर पर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव कैंपेन के सदस्यों को निशाना बनाया था. अमेरिका में संघीय अभियोजकों ने आज इस मामले में आपराधिक आरोप दायर किए हैं.

अमेरिकी अटॉर्नी जनरल मेरिक गारलैंड ने बताया कि तीनों ईरानी संदिग्धों ने कथित तौर पर कई अन्य हैकर्स के साथ मिलकर इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) की ओर से कई वर्षों तक चलने वाले हैकिंग ऑपरेशन को अंजाम देने की साजिश रची थी. ये आरोप एक शीर्ष गुप्त ईरानी साइबर जासूसी ऑपरेशन से संबंधित हैं, जिसमें कथित तौर पर डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव कैंपेन से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज चुराए गए थे. इन हैकर्स ने कथित तौर पर ये जानकारी कई पत्रकारों और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के चुनाव अभियान से जुड़े प्रमुख व्यक्तियों को भी भेजे थे. यह राष्ट्रपति जो बाइडेन के पीछे हटने और अपने डिप्टी (कमला हैरिस)- को डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में नामित करने से पहले की बात है.

आरोपियों के बयानों का जिक्र करते हुए गारलैंड ने कहा, ‘देखिए, आरोपियों के अपने शब्दों से यह साफ नजर आ रहा है कि वे 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के चुनाव अभियान को कमजोर करने का प्रयास कर रहे थे.’ अदालत के दस्तावेजों से पता चला है कि हैकर्स ने ‘बड़े हैकिंग कैंपेन की तैयारी की थी और उसमें शामिल थे.’ इनमें कई अमेरिकी सरकारी अधिकारियों और पॉलिटिकल कैंपेन से जुड़े व्यक्तियों के अकाउंट से कॉम्‍प्रोमाइज करने के लिए स्पीयर-फ़िशिंग और सोशल इंजीनियरिंग तकनीक जैसे तरीके शामिल हैं.

पिछले महीने Microsoft की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि ‘ईरानी हैकर्स ने जून 2024 में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति इलेक्‍शन कैंपेन के एक उच्च पदस्थ अधिकारी को स्पीयर फ़िशिंग ई-मेल भेजा था’ उसी महीने Google के साइबर सुरक्षा विभाग ने कहा कि ‘ईरान के हैकर्स ने राष्ट्रपति जो बाइडेन के कैंपेन में भी सेंध लगाने की कोशिश की.’ गारलैंड ने कहा, ‘अमेरिकी सरकार का संदेश स्पष्ट है: हमारे देश के चुनावों का परिणाम कोई विदेशी शक्ति नहीं, बल्कि अमेरिकी लोग तय करते हैं.’

जांच एजेंसियों ने इस बात का खुलासा नहीं किया है कि ये हैकिंग प्रयास कितने सफल रहे, किन अधिकारियों को निशाना बनाया गया और उल्लंघन का स्तर क्या था. यूनाइटेड स्टेट्स इंटेलिजेंस कम्युनिटी या IC ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि ‘नवंबर के करीब आते ही विदेशी प्‍लेयर अपनी चुनाव को प्रभावित करने वाली गतिविधियों को बढ़ा रहे हैं. रूस, ईरान और चीन की गतिविधियों पर हमारे निर्णय हमारे पिछले अपडेट के बाद से नहीं बदले हैं.’

‘ईरान का ख़तरा’ कितना बड़ा?

अटॉर्नी जनरल ने बताया, ‘इस दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग हैं, जो ईरान की तरह संयुक्त राज्य अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरा पैदा करते हैं.’ अदालती दस्तावेज़ों से पता चला है कि इन हैकिंग प्रयासों की योजना 2020 में ही बना ली गई थी. उन्होंने आगे कहा कि इस साल मई में, हैकर्स ने अमेरिकी राष्ट्रपति कैंपेन से जुड़े व्यक्तियों के पर्सनल अकाउंट्स को निशाना बनाना और उन तक अवैध तरीकों से पहुंचने का प्रयास किया. अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने भी इस मामले में कड़ी कार्रवाई करते हुए मसूद जलीली सहित सात ईरानियों पर प्रतिबंध लगाए, जो आज आरोपित किए गए तीन हैकर्स में से एक था.

रूसी और चीनी ‘हस्तक्षेप’ का खतरा

अमेरिका ने रूस और चीन पर अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाया है. इन आरोपों का रूस और चीन दोनों ने सिरे से नकार दिया है. इधर, डोनाल्ड ट्रम्प के कैंपेन से जुड़े अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि व्लादिमीर पुतिन एक टेलीविज़न इंटरव्‍यू में कमला हैरिस का खुलकर समर्थन कर रहे हैं. अमेरिकी सरकार ने दावा किया है कि रूसी मीडिया अमेरिकी मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है. इसका दावा है कि चीन भी हस्तक्षेप कर रहा है. यह दावा  इस आधार पर किया जा रहा है कि अमेरिका को लगता है कि चीन के अपने वैश्विक एजेंडे के लिए कौन अधिक उपयुक्त होगा? मॉस्को और बीजिंग दोनों ने इन आरोपों का खंडन किया है.

Share News Now

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!