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भारत और चीन के बीच सैंडविच नहीं बनना चाहता : श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके

दिसानायके ने इंटरव्यू में कहा- “दोनों देशों से हमारी दोस्ती है. हम किसी एक का साथ नहीं देंगे. हम न तो दबदबे की होड़ में शामिल होंगे. न ही इस होड़ में शामिल किसी देश का साथ देंगे. मुझे उम्मीद है भविष्य में हमारी साझेदारी अच्छी होगी.”

कोलंबो:

श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके (Anura Kumara Dissanayake) वामपंथी विचारधारा के हैं. वे भारत के आलोचक भी रह चुके हैं. उनके राष्ट्रपति बनने पर आशंका जताई जा रही थी कि वे वैश्विक मुद्दों पर भारत की बजाय चीन का समर्थन करेंगे. लेकिन एक इंटरव्यू में उन्होंने भारत-चीन (India and China Relation)को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है. दिसानायके ने राष्ट्रपति बनने के पहले दिन से स्पष्ट कर दिया कि उनकी विदेश नीति किसी एक देश को समर्थन वाली नहीं होगी. मोनोकल मैग्जीन को दिए इंटरव्यू में अनुरा दिसानायके ने कहा है कि वे भारत और चीन के बीच सैंडविच बनकर नहीं रहना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि श्रीलंका दुनिया में चल रही दबदबे की लड़ाई में नहीं फंसना चाहता है.

दिसानायके ने इंटरव्यू में कहा- “दोनों देशों से हमारी दोस्ती है. हम किसी एक का साथ नहीं देंगे. हम न तो दबदबे की होड़ में शामिल होंगे. न ही इस होड़ में शामिल किसी देश का साथ देंगे. मुझे उम्मीद है भविष्य में हमारी साझेदारी अच्छी होगी.”

यूरोपियन यूनियन (EU) मिडिल ईस्ट से भी रखेंगे अच्छे संबंध
दिसानायके ने कहा कि वे यूरोपियन यूनियन (EU) मिडिल ईस्ट और अफ्रीका से भी अच्छे रिश्ते रखेंगे. श्रीलंका की विदेश नीति निष्पक्ष होगी.

दिसानायके को मिले थे 10 लाख से ज्यादा वोट
दिसानायके ने दो दिन पहले राष्ट्रपति पद की शपथ ली है. श्रीलंका में 2022 में आए आर्थिक संकट के बाद हुए चुनाव में उन्हें अपने प्रतिद्वंद्वी सजिथ प्रेमादासा से 10 लाख से ज्यादा वोट हासिल हुए. उन्होंने कहा, “श्रीलंका दिवालिया हो चुका है. हम पर 28 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है. मेरी प्राथमिकता देश के आर्थिक संकट को दूर करना है.”

फरवरी 2024 में किया था भारत का दौरा
बता दें कि फरवरी 2024 में अनुरा कुमारा दिसानायके भारत आए थे. उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से तब मुलाकात की थी. जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत हमेशा श्रीलंका का एक विश्वसनीय मित्र और भरोसेमंद साझेदार रहेगा.

हालांकि, भारत से लौटने के बाद अनुरा ने जोर देकर कहा था कि ‘भारत के साथ हुई हाई-लेवल मीटिंग्स से यह मतलब न निकाला जाए कि हमारी पार्टी की ‘पॉलिटिकल और इकोनॉमिकल पॉलिसी’ में कोई बदलाव आया है.

इस बात को दोहराते हुए अनुरा ने इंटरव्यू में एक बार फिर कहा, “हम देश में बदलाव लाने की उम्मीद कर रहे हैं. ऐसे में हमें इंटरनेशनल सपोर्ट की जरूरत है. हम एक अलग-थलग देश के तौर पर नहीं रह सकते, हमें इंटरनेशनल रिलेशंस को मजबूत करने की जरूरत है.”

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